S&P Global Ratings ने भारत की आर्थिक विकास दर (GDP ग्रोथ) का अनुमान चालू वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए बढ़ा दिया है। अब एजेंसी को उम्मीद है कि देश की GDP 6.5% की दर से बढ़ेगी। इस अनुमान में पिछले महीने की तुलना में सुधार हुआ है, जब वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण ग्रोथ अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया गया था। S&P ने यह अनुमान अपनी नई “एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक आउटलुक” रिपोर्ट में जारी किया है। एजेंसी का कहना है कि भारत में घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक चुनौतियों के बावजूद गति मिल रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की GDP ग्रोथ को सपोर्ट करने वाले मुख्य कारण हैं:
S&P का यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुमान के अनुरूप ही है। RBI ने भी हाल ही में FY26 के लिए 6.5% GDP ग्रोथ की उम्मीद जताई थी।
S&P ने रिपोर्ट में आगाह किया है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव आर्थिक विकास के लिए खतरा बन सकते हैं। खासकर ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष और अमेरिका की सैन्य कार्रवाई से स्थिति और बिगड़ी है। अगर इससे कच्चे तेल की कीमतें लंबी अवधि तक ऊंची रहीं, तो इसका असर भारत जैसी ऊर्जा आयात करने वाली अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है।
भारत अपनी जरूरत का 90% क्रूड ऑयल और लगभग 50% प्राकृतिक गैस विदेशों से मंगाता है। ऐसे में किसी भी तरह की कीमतों में उछाल का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था और चालू खाते के घाटे पर पड़ सकता है।
हालांकि, S&P ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार अच्छी तरह से सप्लाई से लैस हैं। इसलिए, फिलहाल दीर्घकालिक तेल संकट की आशंका नहीं है।
S&P की रिपोर्ट में अमेरिका की बढ़ती टैरिफ नीति पर भी चिंता जताई गई है। एजेंसी का कहना है कि अमेरिका द्वारा इंपोर्ट पर लगाए जा रहे नए शुल्क से वैश्विक व्यापार और निवेश प्रभावित हो सकते हैं। इससे दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं धीमी पड़ सकती हैं।
पिछले महीने S&P ने इन्हीं कारणों से भारत का FY26 ग्रोथ अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया था। लेकिन अब घरेलू मांग और नीतिगत स्थिरता को देखते हुए उसे फिर से 6.5% कर दिया गया है, जो भारत की मजबूत आर्थिक नींव को दर्शाता है।