किसी ने ठीक ही कहा है- आग बुझाने चले और हाथ जला बैठे। दरअसल, महंगाई रोकने की कवायद में सरकार ने उद्योग जगत पर तमाम बंदिशें लगा दी हैं।
इसका असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ा। मार्च में देश के औद्योगिक उत्पादन में खासी गिरावट आई और इसमें केवल तीन प्रतिशत की वृध्दि दर दर्ज की गई, जबकि पूर्व वर्ष की समान अवधि में यह 14.8 प्रतिशत था।
देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र की भी कुछ ऐसी ही हालत है। हालांकि यह गिरावट औद्योगिक विकास दर की तरह बहुत ज्यादा नहीं रही। प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की विकास दर मार्च 2008 में गिरकर 9.6 प्रतिशत पर आ गई, जबकि पूर्व वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 10.5 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2007-08 में छह प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की विकास दर घटकर 5.6 प्रतिशत रह गई, जो पूर्व वर्ष में 9.2 प्रतिशत थी।
सीमेंट और स्टील उत्पादों को छोड़ दें, तो अन्य सभी बुनियादी ढांचा क्षेत्रों, जिनमें कच्चे तेल, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों, कोयला एवं बिजली शामिल है, सबकी विकास दर में मार्च 2008 में गिरावट दर्ज की गई। सच तो यह है कि विनिर्माण क्षेत्र के सुस्त विकास दर का असर समूचे औद्योगिक उत्पादन पर देखने को मिला। हालांकि कुल औद्योगिक विकास दर के निराशाजनक प्रदर्शन के मद्देनजर बुनियादी ढांचे में यह गिरावट कुछ राहत ही देने वाली है।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र की विकास दर मार्च में गिरकर 9.6 फीसदी पहुंची
पिछले वर्ष की समान अवधि में बुनियादी ढांचा विकास दर थी 10.5 फीसदी
कच्चे तेल, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों, कोयला एवं बिजली क्षेत्र की विकास दर सबसे कम