सोशल मीडिया पर प्रतिबंध से जेन-जी के गुस्से की चिंगारी भड़क उठी। विरोध-प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस-प्रशासन की गोली-बारी में अब तक 19 लोगों की जान चली गई। मंगलवार को यहां शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को इस्तीफा तक देना पड़ा है।
नियमों के उल्लंघन पर नेपाल सरकार ने फेसबुक और यूट्यूब जैसी कई सोशल साइटों पर रोक लगा दी थी। इसके विरोध में काठमांडू से शुरू हुआ प्रदर्शन देखते-देखते बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में तब्दील होकर पूरे देश में फैल गया। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भी युवा शांत नहीं हो रहे हैं। इस कारण मंगलवार को नेपाल के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध से आगे चिंगारी क्यों भड़की इसके पीछे एक नहीं, कई कारण हैं। इसमें सोशल मीडिया का व्यापक प्रसार भी शामिल है। वर्ष 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाल की 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की तीन-चौथाई से ज्यादा आबादी के पास मोबाइल फोन हैं। यह दक्षिण एशियाई देशों में बांग्लादेश से ठीक पीछे है। इस रिपोर्ट के अनुसार आधी आबादी तक इंटरनेट की पहुंच है और 88 प्रतिशत लोग इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया देखने में करते हैं। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में नेपाल से ज्यादा सोशल मीडिया का उपयोग केवल पाकिस्तान में होता है।
नेपाल में बेरोजगारी दर 2017-18 में 11.4 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 12.6 प्रतिशत हो गई है। दूसरी ओर, नेपाल की श्रम बल भागीदारी दर 2017-18 में 38.5 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 37.1 प्रतिशत हो गई।