भारत के बैंक क्षेत्र का कर्ज मजबूत स्थिति में है और इसमें प्रणालीगत जोखिम बढ़ने का कोई संकेत नहीं है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के
डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने सोमवार को कहा।
पात्र ने कंबोडिया में भाषण देते हुए कहा, ‘बैंक कर्ज को ओवरहीटिंग का मुख्य सूचकांक माना जाता है। हमारा आकलन विभिन्न दृष्टिकोण के आधार पर बताता है कि ऋण विस्तार की हालिया दर में प्रणालीगत जोखिम बढ़ने का कोई संकेत नहीं है। भारतीय संदर्भ में 16-18 प्रतिशत वृद्धि खतरे का सूचकांक है। ऋण अंतर जीडीपी के अनुपात की तुलना में नकारात्मक स्थिति में है।’
उन्होंने ऋण जोखिम के मैक्रो टेस्ट सूचकांक का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत में सभी बैंक न्यूनतम पूंजी की जरूरतों को पूरा करते हैं। बैंक अत्यधिक दबाव की स्थिति में भी इन जरूरतों को पूरा करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘ऋण जोखिम के मैक्रो स्ट्रेस से पता चलता है कि भारत में सभी बैंक अत्यधिक दबाव होने की स्थिति में भी न्यूनतम पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। बेसलाइन, मध्यम और अत्यधिक दबाव के परिदृश्य में प्रणालीगत स्तरीय पूंजी अनुपात क्रमश 16.1 प्रतिशत, 14.7 प्रतिशत और 13.3 प्रतिशत है। यह न्यूनतम नियामकीय नौ प्रतिशत से कहीं अधिक है।’
उन्होंने कहा कि बैंकिंग ऋण में विस्तार प्रमुख तौर पर खुदरा ऋण में वृद्धि से तय हो रहा है। पारंपरिक सोच से पता चलता है कि उधारी लेने वाले विभिन्न समूहों में ऐसे ऋण का व्यापक वितरण प्रणालीगत जोखिम संचय की संभावना को कम करता है। इसका कारण यह है कि सभी उधारी लेने वालों के चूक करने की संभावना नहीं होती है।
पात्र ने यह भी कहा कि हालिया समय में बैंकिंग प्रणाली में शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) औसतन करीब 3.8 प्रतिशत है जो अनुमानित पांच प्रतिशत के दायरे में व कम है। इस क्रम में पांच प्रतिशत से परे जाने की स्थिति में वित्तीय स्थायित्व पर संभावित प्रभाव पड़ता है।
पात्र ने कहा कि भारत 2027 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगी। भारत मार्केट एक्सचेंज की दर से मापने पर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारा आकलन है कि भारत 2027 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होगी और मार्केट एक्सचेंज की दर के अनुसार विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।