देश के फिनटेक क्षेत्र को स्व-नियामकीय संगठन (SRO), जो सदस्य फिनटेक कंपनियों के आचरण की निगरानी करता है, के तहत खुद को संगठित करने की कोशिश करनी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने आज कहा कि इस दृष्टिकोण से उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और फिनटेक कंपनियों में प्रशासनिक मानकों में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
IIM अहमदाबाद में ‘फिनटेक : नवोन्मेष, समावेश और विनियमन’ पर अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन में जैन ने कहा ‘फिनटेक क्षेत्र के नजरिये से नियमों को स्थापित करने और लागू करने के लिए स्व-विनियमन उपयोगी उपकरण हो सकता है।’
उन्होंने कि किसी SRO की भूमिका में आचरण के मानक स्थापित करने के साथ-साथ क्षेत्र और विनियामकों के बीच पुल के रूप में काम करना भी शामिल हो सकता है। इस क्षेत्र को सही राह पर रखने के लिए विनियमन तो केवल एक ‘गार्ड रेल’ ही होता है।
RBI ने डिजिटल ऋण के संबंध में अपने दिशानिर्देशों में विनियमित संस्थाओं और डिजिटल ऋण आवेदन (DLA), ऋण सेवा प्रदाताओं (LSP) को दायरे में लेने वाले SRO स्थापित करने का विचार रखा था।
इसमें अन्य बातों के साथ-साथ वसूली के लिए आचार संहिता और बैलेंस शीट ऋणदाताओं के लिए आदर्श मानकीकृत LSP समझौते की रूपरेखा को ध्यान में रखा गया था। फिलहाल ऐसे दो निकाय हैं – डिजिटल लेंडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (DLAI) और फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एम्पावरमेंट (FACE), जो इस खंड में SRO टैग पर नजर रख रहे हैं।
भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फिनटेक तंत्र है। अब तक RBI ने फिनटेक क्षेत्र को विनियमित करने के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। इसने फिनटेक द्वारा पेश नवोन्मेष और खास जोखिम के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश के लिए मध्य मार्ग खोजने का प्रयास किया है।
जैन ने कहा कि फिनटेक क्षेत्र को विनियमित करने के लिए कोई भी दृष्टिकोण सदैव पांच मूलभूत उद्देश्यों – वित्तीय स्थिरता, उपभोक्ता संरक्षण, वित्तीय प्रणाली की अखंडता, प्रतिस्पर्धा और व्यवस्थित विकास पर आधारित होगा।