भारतीय स्टेट बैंक की ओर से शुक्रवार को जारी एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत ने 26 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाया है। इस तरह से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी पिछले 7 साल के दौरान 25.9 प्रतिशत से घटकर 23.7 प्रतिशत रह गई है।
हाल में जारी किए गए एनुअल सर्वे आफ अनइनकॉर्पोरेटेड सेक्टर इंटरप्राइजेज (एएसयूएसई) की रिपोर्ट के आधार पर एसबीआई की रिपोर्ट में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विनिर्माण को उद्योग के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) और ट्रेड व अन्य सेवा क्षेत्र को सेवा जीवीए का प्रतिरूप मानने पर औपचारिक अर्थव्यवस्था का कुल आकार पिछले 7 साल में 26 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है।’
कुल मिलाकर अनौपचारिक जीवीए की कुल राशि वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 58.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जो वित्त वर्ष 2016 में 18.6 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें से अनौपचारिक कृषि की हिस्सेदारी 43 लाख करोड़ रुपये है। उसके बाद अनौपचारिक सेवा की हिस्सेदारी 11.8 लाख करोड़ रुपये है।