अर्थव्यवस्था

FY26 में 6.5% की दर से बढ़ेगी भारतीय इकॉनमी, S&P का अनुमान; कहा- टैक्स कटौती, ब्याज दरों में कमी से बढ़ेगी खपत

वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 7.8% रही, जो पिछली पांच तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- November 24, 2025 | 11:56 AM IST

Indian GDP Forecast: ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने सोमवार को अनुमान लगाया कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% और अगले वर्ष 6.7% की दर से बढ़ेगी। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि टैक्स कटौती, मौद्रिक नीति में ढील और मजबूत घरेलू मांग भारत की खपत-आधारित ग्रोथ को बढ़ावा देंगे।

वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 7.8% रही, जो पिछली पांच तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है। Q2 (जुलाई-सितंबर) के जीडीपी आंकड़े 28 नवंबर को जारी होंगे।

भारत की वृद्धि मजबूत बनी रहेगी : S&P

पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, एसएंडपी ने अपनी ‘इकॉनमिक आउटलुक ए​शिया-पैसेफिक रिपोर्ट’ में कहा, “हम अनुमान लगाते हैं कि भारत की GDP FY26 में 6.5% और FY27 में 6.7% बढ़ेगी। घरेलू मांग मजबूत है, भले ही अमेरिका के टैरिफ का कुछ असर हो रहा हो।” आरबीआई इससे पहले चालू वित्त वर्ष की GDP वृद्धि 6.8% रहने का अनुमान दे चुका है, जो पिछले वर्ष के 6.5% से बेहतर है।

रिपोर्ट में कहा गया कि GST दरों में कमी, आयकर राहत, ब्याज दरों में कटौती जैसे कदमों से मध्यवर्ग की खपत बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि में खपत का योगदान निवेश की तुलना में अधिक होगा।

सरकार ने बजट 2025-26 में इनकम टैक्स रीबेट की सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दी, जिससे मध्य वर्ग को ₹1 लाख करोड़ की टैक्स राहत मिली। जून में RBI ने पॉलिसी दरों में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की, पॉलिसी रेट 5.5%, तीन साल के निचले स्तर पर आ गया। इसी तरह, 22 सितंबर से 375 वस्तुओं पर GST कम किया गया। इससे आम उपभोग की वस्तुएं सस्ती हुईं।

अमेरिका के टैरिफ बढ़ोतरी का असर

रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका द्वारा भारत पर प्रभावी टैरिफ बढ़ाने से निर्यात-ओरिएंटेड मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ पर दबाव पड़ा है। लेकिन संकेत हैं कि भविष्य में अमेरिका भारतीय उत्पादों पर टैरिफ कम कर सकता है।

एसएंडपी ने कहा, “अमेरिका की नई व्यापार नीति के कारण कई देश और कंपनियां छूट (exemptions) पाने में समय और पैसे खर्च कर रही हैं, जिससे उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान कम हो रहा है।”

First Published : November 24, 2025 | 11:56 AM IST