भारतीय रुपये की वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) दिंसबर में गिरकर 107.20 हो गई जबकि यह नवंबर में उच्च स्तर 108.14 पर थी। भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़े के अनुसार जनवरी 2024 में आरईईआर 103.66 थी। वर्ष 2024 में डॉलर के मुकाबले रुपये में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी जबकि इस साल अभी तक जनवरी में 1.2 प्रतिशत की गिरावट आ गई है।
बाजार के भागीदारों के अनुसार जनवरी 2025 में आरईईआर में और गिरावट का अनुमान है। आरईईआर किसी मुद्रा का उसके व्यापारिक साझेदारों के मुकाबले मुद्रास्फीति-समायोजित, व्यापार-भारित औसत मूल्य को दर्शाती है और इसे आमतौर पर बाह्य प्रतिस्पर्धा का सूचकांक माना जाता है।
दिसबंर में रुपये में 1.31 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इस महीने में डॉलर इंडेक्स 2.75 प्रतिशत बढ़कर 108.48 हो गया था। यह सूचकांक छह प्रमुख मुद्राओं के सूमह में डॉलर की मजबूती का आकलन करता है।
अमेरिका की ट्रेजरी यील्ड में इजाफा होने के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक ने धन की अत्यधिक निकासी की और इसके कारण मुख्य तौर पर रुपये में गिरावट आई। फेडरल रिजर्व के दर में अनुमान से कम कटौती करने का संकेत देने से भी डॉलर को मजबूती मिली। इस क्रम में अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने दिसंबर की शुरुआत में ब्याज दरों में अनुमानित 50 आधार अंक की जगह 25 आधार अंक की कटौती की थी। इसके अलावा नवंबर में भारत के वस्तु व्यापार में व्यापार घाटा बढ़ने से रुपये में और गिरावट हुई।
सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने बताया, ‘व्यापार घाटे का आंकड़ा बढ़ना अच्छा नहीं था और कोष की निकासी हुई। हमने देखा कि रुपया गिरकर 85.50 प्रति डॉलर हो गया और इससे आरईईआर में गिरावट आई। हम जिस तरह की गतिविधियां देख रहे हैं, ऐसे में जनवरी के आकंड़े और कम होने चाहिए।’