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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में 22 सितंबर से किए जा रहे बदलाव से 48,000 करोड़ रुपये की शुद्ध राजस्व हानि की संभावना है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे पर इसका असर 10 से 40 आधार अंक तक ही रहने की उम्मीद है। वहीं इससे कुल मिलाकर मांग को गति मिल सकती है, जिससे वृद्धि बढ़ेगी। विश्लेषकों का कहना है कि अगर सरकार पूंजीगत व्यय कम करती है तो राजकोषीय घाटे पर असर मामूली हो सकता है।
इसके अलावा, मुद्रास्फीति की श्रेणी में शामिल आवश्यक और घरेलू वस्तुओं के लगभग एक-चौथाई वस्तुओं पर कर की दर में कटौती से अगले 12 महीनों में खुदरा महंगाई दर में लगभग 50-90 आधार अंकों की कमी आ सकती है।
संपत्ति प्रबधन कंपनी बर्नस्टीन ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार अगर पूंजीगत व्यय में कोई बदलाव नहीं करती है तो राजकोषीय घाटे पर शुद्ध प्रभाव लगभग 20 आधार अंकों का होगा। यदि पूंजीगत व्यय में 5 प्रतिशत की कमी की जाती है, तो यह प्रभाव लगभग 5 आधार अंकों (बीपीएस) तक कम हो जाता है।
इसमें कहा गया है, ‘अगर रूढ़िवादी परिदृश्य रहता है और केंद्र सरकार पूंजीगत व्यय में किसी भी कटौती के बिना पूरे राजस्व घाटे (राज्यों सहित) का बोझ उठाती है तो राजकोषीय घाटा 40 आधार अंक तक बढ़ सकता है। पूरे वित्त वर्ष के हिसाब से वास्तविक प्रभाव इससे कम होगा क्योंकि आधे वित्त वर्ष में ही यह लागू होगा। हालांकि व्यावहारिक रूप से पूंजीगत व्यय को कुछ हद तक युक्तिसंगत बनाए जाने की संभावना है।’
उधर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में कहा कि दरों में कमी के जरिये वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार से 3,700 करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व नुकसान होगा। इससे वृद्धि और खपत को बढ़ावा मिलेगा, जिससे जीएसटी संग्रह पर कोई असर
नहीं पड़ेगा।
इसने कहा है, ‘अगर खाद्य वस्तुओं पर जीएसी घटने का 60 प्रतिशत ग्राहकों तक पहुंचता है तो आवश्यक वस्तु श्रेणी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) परआधारित महंगाई दर 25 से 30 आधार अंक नीचे आ सकती है। इसके अलावा सेवाओं पर जीएसटी को तर्कसंगत बनाए जाने से सीपीआई में 40 से 50 आधार अंक और कमी आ सकती है, अगर इसका 50 प्रतिशत लाभ नीचे आता है। कुल मिलाकर हमारा मानना है कि सीपीआई महंगाई दर वित्त वर्ष 2026-27 के दौरान 65 से 75 आधार अंक कम हो सकती है।’
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक बयान में कहा है कि कर कम किए जाने का राजकोषीय असर चालू वित्त वर्ष के दौरान 20 आधार अंक तक रह सकता है। इसने कहा है, ‘पहले की अपेक्षा अधिक प्रोत्साहन के कारण हमें चालू वित्त वर्ष के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को संशोधित कर उसे बढ़ाना पड़ रहा है (6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत), तथा चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई की औसत दर पहले के 3 प्रतिशत से घटकर 2.5 प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान है।’
इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए यूटीआई एएमसी ने कहा कि बाजार के हिसाब से बॉन्डों पर इसका असर सीमित रहेगा क्योंकि अनुमानित राजस्व हानि का समायोजन मौजूदा बजट व्यय के भीतर किया जा सकता है। इसमें कहा गया है, ‘जीएसटी कटौती का अवस्फीतिकारी प्रभाव मौद्रिक नीति के लिए अच्छा है और इससे रिजर्व बैंक को लंबी अवधि तक ब्याज दरें कम रखने में मदद मिलेगी।’
बहरहाल एचएसबीसी ने एक बयान में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में अब सिर्फ आधा वित्त वर्ष बचा हुआ है ऐसे में वित्त वर्ष 2026 में इसका जीडीपी पर असर करीब 10 आधार अंक ही रहेगा। सरकार को होने वाले राजस्व हानि का लाभ ग्राहकों को मिलेगा।