अर्थव्यवस्था

लक्ष्य के अनुरूप रहेगी खुदरा महंगाई, खाद्य और ईंधन के दामों में बदलाव बन रहे चुनौती: RBI डिप्टी गवर्नर

रिजर्व बैंक ने इस वित्तीय वर्ष में सामान्य मॉनसून और स्थिर आपूर्ति श्रृंखला के आधार पर महंगाई 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।

Published by
अंजलि कुमारी   
Last Updated- October 15, 2024 | 9:51 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में घरेलू समग्र खुदरा महंगाई टिकाऊ आधार पर 4 फीसदी के दायरे में रहने की उम्मीद है। पात्र ने एक उच्चस्तरीय सम्मेलन ‘सेंट्रल बैंकिंग ऐट क्रासरोड्स’ में सोमवार को दिए संबोधन में कहा। उनका यह संबोधन रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मंगलवार को प्रकाशित हुआ।

उन्होंने कहा, ‘जुलाई और अगस्त 2024 में महंगाई लक्ष्य से नीचे रही। 2025-26 में टिकाऊ आधार पर लक्ष्य के अनुरूप रहने से पहले 2024-25 में खुदरा महंगाई औसतन 4.5 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है। ‘

रिजर्व बैंक ने इस वित्तीय वर्ष में सामान्य मॉनसून और स्थिर आपूर्ति श्रृंखला के आधार पर महंगाई 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।

हालांकि सितंबर में खुदरा महंगाई बढ़ती खाद्य कीमतों और प्रतिकूल आधार के कारण नौ महीने के उच्च स्तर 5.49 फीसदी पर पहुंच गई है।

इस माह की शुरुआत में हुई मौद्रिक नीति की समीक्षा में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर को यथावत रखते हुए अपने रुख को बदला और इसे समायोजन से वापस लेकर तटस्थ कर दिया।

बाजार में भागीदार एक वर्ग के अनुमान के मुताबिक समिति संभवत दिसंबर से दर में कटौती करने का चक्र शुरू कर सकती है। आरबीआई ने मई 2022 और फरवरी 2024 के बीच नीतिगत रीपो दर को 250 आधार अंक बढ़ाने के बाद से स्थिति को यथावत रखा है।

डिप्टी गवर्नर ने मौद्रिक नीति के डिजिटल युग में परिवर्तित होने पर कहा कि डिजिटलीकरण से वित्तीय सेवाओं तक पहुंच और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल सकता है। इससे ब्याज दर आधारित मौद्रिक नीति के प्रसार में सुधार होगा।

इसके अलावा उन्होंने चेताया कि यदि डिजिटलीकरण से बैंकों से उधारी कम विनियमित/अनियमित गैर बैंकों की ओर बढ़ती है या बैंक जमा में गिरावट होती है तो यह प्रसार धीमा हो सकता है।

डिप्टी गवर्नर ने यह भी कहा कि भारत को खाद्य और ईंधन के दामों में बदलाव से आ रहे लगातार झटकों के कारण महंगाई का लक्ष्य बदलता नजर आ रहा है। इससे मौद्रिक नीति के समक्ष भी चुनौतियां खड़ी हुईं। भारत में मूल्यों को स्थिर रखना साझा जिम्मेदारी है। इस क्रम में महंगाई लक्ष्य को सरकार निर्धारित करती है और इसे हासिल करने के लिए केंद्रीय बैंक कार्य करता है।

उन्होंने कहा कि महंगाई लक्ष्य का प्रारूप वित्तीय स्थिरता, राजकोषीय मजबूती या वृद्धि से समझौता किए बिना मौद्रिक व राजकोषीय नीतियों में बेहतर ढंग से सामंजस्य तय करता है। यह आपूर्ति श्रृंखला में महंगाई के दबाव का सामना कर रहे अन्य देशों के लिए संभावित मॉडल के रूप में भी कार्य करता है।

उन्होंने कहा, ‘भारत को खाद्य और ईंधन के दामों में निरंतर उछाल की घटनाओं के कारण अद्वितीय अनुभव का सामना करना पड़ता है और इससे मौद्रिक नीति के संचालन की चुनौतियां भी खड़ी होती हैं। भारत में दामों को स्थिर करने की जिम्मेदारी साझा रूप से उठाई जाती है। इसमें सरकार लक्ष्य तय करती है और केंद्रीय बैंक इसे हासिल करता है।

First Published : October 15, 2024 | 9:51 PM IST