भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) के लिए अब तक का पहला खुले बाजार का परिचालन (ओएमओ) करते हुए योजना के तहत 10,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं।
एसडीएल धारकों को 10,000 करोड़ रुपये के ओएमओ के आकार के एवज में 15,475 करोड़ रुपये के बॉन्डों की पेशकश की गई। कर्नाटक के 9 साल के बॉन्ड के लिए सबसे कम कट आफ प्रतिफल 6.4746 प्रतिशत की पेशकश की गई, जबकि सबसे ज्यादा कट आफ जम्मू कश्मीर के 10 साल के एसडीएल का 6.6813 प्रतिशत रहा। कुल मिलाकर ओएमओ में 15 राज्यों में प्रत्येक के दो पेपर्स की खरीद की गई।
राज्य बॉन्डों में ओएमए का मकसद राज्यों के लिए उधारी की लागत कम रखना और उसे केंद्र सरकार की दरों के बराबर बनाए रखना है। लेकिन साथ में रिजर्व बैंक के पक्ष में कुछ बैंक बैलेंस शीट भी मुक्त करना होगा। अन्यथा केंद्रीय बैंक रोज की नकदी के परिचालन के लिए सब नैशनल पेपर्स स्वीकार करने के अलावा एसडीएल को अपने बैलेंस शीट में नहीं रखता है।
एसडीएल में ओएमओ इस साल विशेष मामला है, लेकिन अगर बाजार द्वितीयक बाजारों से पेपर्स के पर्याप्त कारोबार के लिए आकर्षित होता है तो आगे चलकर यह मानक बन सकता है। निश्चित रूप से राज्य अब अपना इश्युएंस कम करने की कोशिश कर रहे हैं और उधारी की जरूरतों को पहले इस्तेमाल किए गए जारी पत्रों को फिर से जारी करके पूरी कर रहे हैं। इससे द्वितीयक बाजार में ट्रेडिंग में मदद मिलती है और केंद्रीय बैंक भविष्य में एसडीएल में और ज्यादा ओएमओ खरीद कर सकता है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार के बॉन्डों की 20,000 करोड़ रुपये की ओएमओ खरीद की घोषणा की है। 2025 और 2032 के बीच परिपक्व होने वाले बॉन्डों की ओएमओ खरीद की जाएगी।
