मुद्रास्फीति की दर उम्मीद से बहुत ज्यादा हो जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक भी इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को तैयार है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर वाई वी रेड्डी ने कहा कि केंद्रीय बैंक महंगाई को रोकने के लिए पहल करने के लिए पूरी तैयारी कर चुका है।रेड्डी ने एक व्याख्यान में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘लेकिन कोई भी फैसला सावधानीपूर्वक ही उठाया जाएगा। यह ऐसी हालत में होगा, जब अन्य उपाय नाकाफी साबित होंगे।
तरलता को प्रबंधित करने के लिए हमारे पास तमाम हथियार मौजूद हैं। हमारे पास तमाम तरीके हैं और उसे प्रयोग करने में हमें कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। तरलता का प्रबंधन मौद्रिक नीति का एक हिस्सा है और इस प्रबंधन को कुल मांग के मुताबिक किया जाता है।’
मुद्रास्फीति की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों, तेल और धातुओं खासकर स्टील के दाम बढ़े हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों के समायोजन सहित, रेड्डी ने कहा कि सरकार आपूर्ति बढ़ाकर इस पर कुछ लगाम लगा सकती है। इसी समय, उन्होंने कहा, कुछ जरूरी पदार्थों के अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी से भी भारत में इनकी कीमतें बढ़ी हैं।
गवर्नर ने कहा, ‘इस तरह से महंगाई के बढ़ने में अंतरराष्ट्रीय कीमतों का भी दबाव है।’ मार्च के मध्य में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 6.68 प्रतिशत पहुंच गई है, जबकि रिजर्व बैंक ने इसे 5 प्रतिशत तक ही ‘सुरक्षित क्षेत्र’ माना था। रेड्डी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति की दर के प्रभाव के बारे में बहुत ही सचेत है। हम यह कोशिश करेंगे की मांग बनी रहे और आपूर्ति की ओर से प्रभावी कदम उठाए जाएं।’
कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जाने पर वर्ष 2008-09 में विकास दर के कम होने और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाए जाने में तालमेल बैठाने के बारे में रेड्डी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक का मानना है कि भारत का विकास और स्थायित्व जारी रहेगा। आने वाले महीनों में भी भारत दुनिया में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले देशों में बना रहेगा।’