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RBI की रिपोर्ट: भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने को तैयार, खाद्य मुद्रास्फीति पर नजर रखना जरूरी

ग्रामीण क्षेत्रों में मांग की स्थिति लगातार मजबूत बनी हुई है जो खपत में निरतंरता बनी रहने का संकेत है। कृषि क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं दिख रही हैं।

Last Updated- January 17, 2025 | 11:25 PM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर वापस पटरी पर लौटने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है। हालांकि आरबीआई ने कहा है कि खाद्य मुद्रास्फीति पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है ताकि इसके दूरगामी असर को रोका जा सके। आरबीआई की अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय प्रणाली में नकदी की हालत खस्ता रहने के बीच बैंक ऋण आवंटन करने से कतरा रहे हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में मजबूती दिखने के बीच भारत की आर्थिक वृद्धि फिर रफ्तार पकड़ने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग की स्थिति लगातार मजबूत बनी हुई है जो खपत में निरतंरता बनी रहने का संकेत है। कृषि क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं दिख रही हैं।

चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी कम होकर सात तिमाहियों के सबसे निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गया था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के प्रथम अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रह सकती है जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम होगा।

हालांकि, आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी क्षेत्र में पूंजीगत व्यय में सुधार से कुछ प्रमुख क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उत्पादन लागत बढ़ने से विनिर्माण क्षेत्र पर दबाव बढ़ सकता है और वैश्विक हालात भी अलग से समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। यह रिपोर्ट डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र सहित आरबीआई के कर्मचारियों ने तैयार की है। रिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह आरबीआई के आधिकारिक रुख को नहीं दर्शाते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएसओ के अनुमान इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत दुनिया की लगातार सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है मगर इसमें दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के लिए कई कारण गिनाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, वर्ष 2024-25 के लिए एनएसओ के अग्रिम अनुमान भारत की अर्थव्यवस्था के तेज रफ्तार से बढ़ने की पुष्टि तो करते हैं मगर यह भी सच है कि जीडीपी वृद्धि दर लगातार तीन सालों तक 7 प्रतिशत से ऊपर रहने के बाद कम होकर पिछली सात तिमाहियों के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ जगहों पर अत्यधिक बारिश से गैर-कृषि गतिविधियों पर असर और निजी पूंजीगत व्यय में तेजी के संकेत अभी पूरी तरह नहीं दिख रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार सामान्य सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी पहली छमाही में आर्थिक सुस्ती के कुछ प्रमुख कारण रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीपी में सकल नियत निवेश और विनिर्माण में सुस्ती से आर्थिक वृद्धि पर असर हुआ है।

First Published - January 17, 2025 | 11:13 PM IST

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