भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा (बीच में), डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता, टी रवि शंकर (दाएं से दूसरे), स्वामीनाथन जे (दाएं) और एससी मुर्मू (बाएं)
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता, टी रवि शंकर, स्वामीनाथन जे और एससी मुर्मू ने मौद्रिक नीति पर फैसले के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की। संपादित अंश:
क्या मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के पास वृद्धि को समर्थन देने के लिए और गुंजाइश है?
मल्होत्राः नीतिगत समर्थन की गुंजाइश होने या न होने को लेकर हम आज तटस्थ हैं। मैंने अपने बयान में कहा है कि महंगाई दर कम है खाद्य वस्तुओं की अस्थिरता को छोड़कर पिछले 2 साल में मुख्य महंगाई दर लगभग 3 से 3.5 प्रतिशत के आसपास रही है। अगर आगे की स्थिति की बात करें तो सोना चांदी जैसी कीमती धातुओं को छोड़कर हमें उम्मीद है कि महंगाई दर कम रहेगी। क्या यह नीतिगत दर में कटौती की राह तैयार कर रहा है, यह अटकल होगी और मैं उसमें नहीं जाना चाहता। अभी हमारे लिए मसला यह है कि मौद्रिक नीति में ढील का असर सुनिश्चित किया जाए। महंगाई दर कम रनहे की उम्मीद के साथ यह जरूरी है कि इसका असर वास्तविक अर्थव्यवस्था पर हो। इसका मूल्यांकन करने के बाद हम नीतिगत फैसला करेंगे।
विनिमय दर पर रिजर्व बैंक का दृष्टिकोण क्या है?
मल्होत्राः रुपये को लेकर हमारी घोषित नीति हमेशा बाजार को विनिमय दर निर्धारित करने देने की रही है। हम किसी विशिष्ट स्तर या बैंड का लक्ष्य नहीं बनाते। दीर्घावधि के हिसाब से बाजार इसमें कुशल हैं। यह गंभीर बाजार है। पहले फरवरी में, रुपया डॉलर के मुकाबले लगभग 88 तक कमजोर हो गया था, लेकिन 3 महीनों के भीतर यह 84 पर आकर मबबूत हो गया। इस तरह का उतार चढ़ाव और अस्थिरता हो सकती है, और होती है। हमारी भूमिका असामान्य या अत्यधिक अस्थिरता को रोकना है, और यही हमारा दृष्टिकोण है। जैसा कि मैंने अपने बयान में उल्लेख किया है, बाहरी क्षेत्र मजबूत है। हमारे पास पर्याप्त भंडार है, चालू खाते का घाटा लगभग 1 प्रतिशत पर प्रबंधन योग्य है। मजबूत बुनियादी धारणा के साथ हम पूंजी के बेहतर आवक की उम्मीद कर रहे हैं।
रुपये में उतार चढ़ाव थामने में डॉलर-रुपया स्वैप किस तरह मददगार है, क्योंकि यह नकदी के साधन जैसा लगता है?
मल्होत्राः हां, वह पूरी तरह से नकदी संबंधी उपाय हैं। उनका उद्देश्य रुपये का समर्थन करना नहीं है। और जैसा कि मैंने पहले कहा हम किसी विशिष्ट विनिमय दर स्तर का लक्ष्य नहीं बनाते। हम रुपये को अपना उचित मूल्य खोजने की अनुमति देते हैं और केवल व्यवस्थित गति सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
बैंकों को आपका क्या संदेश होगा?
मल्होत्राः हम अर्थव्यवस्था या ऋण के लिए किसी खास वृद्धि दर का लक्ष्य नहीं रखते हैं। यह अर्थव्यवस्था के ढांचे पर निर्भर होता है। मौद्रिक नीति कम अवधि के लिए स्थिति को प्रभावित करती है। इससे दीर्घावधि वृद्धि या ऋण विस्तार निर्धारित नहीं हो सकता।
वृद्धि सुस्त रहने की उम्मीद क्यों कर रहे हैं?
मल्होत्राः हमारा आकलन उन प्रमुख संकेतकों पर आधारित है, जिन पर हम नजर रखते हैं। इनसे संकेत मिल रहा है कि पहली तिमाही में लगभग 8 प्रतिशत वृद्धि दर उसी स्तर पर नहीं बनी रहेगी। हमने पहले ही इस तिमाही और आगे की अवधि के लिए अपने अनुमान साझा कर दिए हैं। सेक्टर वार विवरण अलग से प्रदान किए जा सकते हैं, लेकिन कुछ सेक्टर शायद पहले की तरह मजबूत प्रदर्शन न करें।
पूनम गुप्ताः जब हम नरमी की बात करते हैं, तो यह हाल ही में देखी गई बहुत मजबूत वृद्धि के सापेक्ष है। सेक्टर के लिहाज से दृष्टिकोण मोटे तौर पर लचीला बना हुआ है। हम मामूली नरमी की उम्मीद कर रहे हैं, जो सभी सेक्टर के लिए है। यह मुख्य रूप से आधार के असर के कारण है।
मल्होत्रा: हमने उच्च शुल्क के कारण सेक्टर की वृद्धि दरों को कम कर दिया था। वस्त्र, चमड़ा और कुछ हद तक झींगा जैसे क्षेत्रों पर शुल्क का कुछ असर पड़ने की संभावना है।
क्या आपको लगता है कि आज की दर कटौती से जमा दर भी कम होगी?
मल्होत्राः हमें वास्तविक ब्याज दरों को देखना होगा। महंगाई दर कम है और आगे भी कम रहने वाली है। नॉमिनल ब्याज दरें कम लग सकती हैं, लेकिन आज भी वास्तविक ब्याज दरें काफी अधिक हैं। यह न केवल उधार लेने वालों के लिए बल्कि बचत करने वालों के लिए भी सच है।