भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को ब्याज दर लगातार सातवीं बार यथावत रखी। रिजर्व बैंक ने कहा कि वह बदलती भू-राजनीतिक स्थितियों पर नजर रखे हुए है। इन स्थितियों से कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। इससे देश में महंगाई पर भी असर पड़ सकता है।
आरबीआई ने कहा कि कंपनियों पर निरंतर नरमी के बाद अब लागत बढ़ाने का दबाव दिख रहा है। भू-राजनीतिक तनाव और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता से महंगाई बढ़ने का जोखिम हो सकता है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘दो साल पहले अप्रैल 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) उच्चतम स्तर 7.8 फीसदी पर पहुंच गया था। महंगाई चरम बिंदु के करीब थी। इसके बाद महंगाई घटने का दौर शुरू हुआ और यह काबू में आ गई है। हम यह चाहते हैं कि महंगाई पर लंबे समय तक लगाम लगी रहे।’
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 (वित्त वर्ष 25) की पहली, दूसरी और चौथी तिमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर दिया है। पूरे वित्त वर्ष 25 में मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 फीसदी पर यथावत रखा गया है।
इस कैलेंडर वर्ष 2024 (सीवाई 24) में भू-राजनीतिक दबाव और आपूर्ति सीमित होने के कारण कच्चे तेल (ब्रेंट) के दाम 18 फीसदी बढ़कर 91 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं। बीते एक महीने के दौरान कच्चे तेल के दाम करीब 10 फीसदी बढ़ गए हैं। हाल यह है कि बीते तीन दिनों के दौरान ही कच्चे तेल के दाम करीब तीन फीसदी बढ़ गए हैं।
जैफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के मांग बढ़ने व आपूर्ति घटने का अनुमान 14 मार्च को जारी करने के बाद तेल के दाम बढ़ने शुरू हो गए हैं। चीन में तेल की मांग का नवीनतम आंकड़ा भी यह दर्शाता है कि बीते वर्ष की तरह ही मांग बढ़ने का रुझान कायम रहेगा। इसमें अन्य मुद्दा जिससे निश्चित रूप से दाम बढ़ा सकता है वो है बदलती भू-राजनीतिक स्थितियों का दबाव।’
राबोबैंक इंटरनैशनल के विश्लेषक के अनुसार साल 2024 में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 71 डॉलर से 93 डॉलर के बीच रह सकते हैं। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के शोध प्रमुख व संस्थापक जी. चोक्कालिंगम के अनुसार अल्प व मध्यम अवधि में वैश्विक स्तर पर मांग अधिक होने की स्थिति में तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘अमेरिका, जापान और भारत सहित ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। मेरा अनुमान है कि तेल की मांग यथावत रहेगी। यदि भू-राजनीतिक दबाव में आपूर्ति सीमित होती है तो ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम तीन अंकों तक पहुंच सकते हैं।’ कच्चे तेल के दामों में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि होने पर भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 40 से 60 आधार अंक की बढ़ोतरी हो सकती है।