भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बीते एक दशक के दौरान वायदा बाजार में मुख्यतौर पर खरीदार रहा है और केवल दो बार वित्त वर्ष 2018-19 और 2022-23 में शुद्ध विक्रेता रहा है। इस वित्त वर्ष में भी केंद्रीय बैंक शुद्ध खरीदार ही रहा है। इसने वर्ष 2013 की तुलना में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार का स्तर दोगुना से अधिक करने में महत्त्वपूर्ण रूप से योगदान दिया है।
इस वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर तक शुद्ध रूप से 1.7 अरब डॉलर की खरीदारी की। विश्व में विदेशी मुद्रा भंडार के शीर्ष चार देशों में भारत है। भारत ने 2023-24 तक अपना विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाकर 28.4 अरब डॉलर कर दिया है।
आरबीआई ने जोरदार ढंग से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की उस रिपोर्ट का जोरदार ढंग से खंडन किया है जिसमें भारत की विनिमय दर व्यवस्था को फ्लोटिंग से स्थिर व्यवस्था में पुनर्वगीकृत किया गया है। केंद्रीय बैंक कई बार जोर देकर कहा कि विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने का उद्देश्य केवल महंगाई पर लगाम कसना है, न कि विनिमय दर में हेरफेर करना।
हालांकि यह रुख 2022 में चुनौतीपूर्ण हो गया। इसका कारण यह था कि डॉलर के मुकाबले रुपये में 10 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि वर्ष 2023 में भारत की मुद्रा ने महत्त्वपूर्ण रूप से स्थिरता प्रदर्शित की।