रिजर्व बैंक द्वारा सीआरआर में कटौती किए जाने के बाद अर्थशास्त्री इस बात की संभावना जता रहें हैं कि बाजार में और अधिक तरलता को बहाल करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक सीआरआर में और कटौती कर सकता है।
ताजा जारी वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देजनर बैंकों के बीच लेंडिंग बहुत महंगा हो गया है जिसका कि कारण मुद्रा बाजार में आपूर्ति से ज्यादा मांग का होना है।
क्रिसिल के अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहना है कि रिजर्व बैंक द्वारा सीआरआर में कटौती एक अच्छा कदम है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इस बात से ब्याज दरों में कटौती करने के कोई संकेत नहीं मिल रहें हैं। सीआआर दरों में और अधिक कटौती किए जाने की संभावना है।