अर्थव्यवस्था

Manufacturing PMI: भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार जुलाई में पड़ी धीमी

PMI के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है।

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भाषा   
Last Updated- August 01, 2024 | 12:15 PM IST

भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई माह में मामूली रूप से धीमी रही। नए ठेकों और उत्पादन की धीमी रफ्तार इसकी मुख्य वजह रही।

दूसरी ओर लागत दबाव तथा मांग में मजबूती के कारण अक्टूबर 2013 के बाद से बिक्री कीमतों में सबसे अधिक वृद्धि हुई। गुरुवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई। मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (पीएमआई) जुलाई में घटकर 58.1 हो गया जो जून में 58.3 था।

पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है।

एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘ भारत के मुख्य विनिर्माण पीएमआई में जुलाई में विस्तार की गति मामूली धीमी रही लेकिन अधिकतर घटकों के मजबूत स्तर पर बने रहने के कारण यह छोटी गिरावट चिंता का कारण नहीं है।’’

भारतीय विनिर्माताओं ने जून से मंदी के बावजूद नए ठेकों में पर्याप्त वृद्धि की सूचना दी। एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और पश्विम एशिया में स्थित ग्राहकों की ओर से मांग में मजबूती की भी खबर है।

भारतीय विनिर्माताओं ने जुलाई में अंतरराष्ट्रीय बिक्री में मजबूत वृद्धि का अनुभव किया। सर्वेक्षण के अनुसार, विस्तार की समग्र दर उल्लेखनीय रही और 13 वर्षों में दूसरी सबसे मजबूत थी।

कीमतों के मोर्चे पर, मांग में उछाल ने भी कीमतों पर दबाव डाला। कच्चे माल की लागत में करीब दो वर्षों में सबसे तेज वृद्धि हुई, जिसने अक्टूबर 2013 के बाद से बिक्री कीमतों में सबसे तेज वृद्धि में योगदान दिया।

एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है।

First Published : August 1, 2024 | 12:06 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)