facebookmetapixel
दूसरे चरण के लोन पर कम प्रावधान चाहें बैंक, RBI ने न्यूनतम सीमा 5 फीसदी निर्धारित कीभारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर जल्द सहमति की उम्मीद, ट्रंप बोले—‘हम बहुत करीब हैं’बीईई के कदम पर असहमति जताने वालों की आलोचना, मारुति सुजूकी चेयरमैन का SIAM के अधिकांश सदस्यों पर निशानाइक्जिगो बना रहा एआई-फर्स्ट प्लेटफॉर्म, महानगरों के बाहर के यात्रियों की यात्रा जरूरतों को करेगा पूरासेल्सफोर्स का लक्ष्य जून 2026 तक भारत में 1 लाख युवाओं को एआई कौशल से लैस करनाअवसाद रोधी दवा के साथ चीन पहुंची जाइडस लाइफसाइंसेजQ2 Results: ओएनजीसी के मुनाफे पर पड़ी 18% की चोट, जानें कैसा रहा अन्य कंपनियों का रिजल्टअक्टूबर में स्मार्टफोन निर्यात रिकॉर्ड 2.4 अरब डॉलर, FY26 में 50% की ग्रोथसुप्रीम कोर्ट के आदेश से वोडाफोन आइडिया को एजीआर मसले पर ‘दीर्घावधि समाधान’ की उम्मीदछोटी SIP की पेशकश में तकनीकी बाधा, फंड हाउस की रुचि सीमित: AMFI

रिफंड दावा खारिज करने का आदेश रद्द

Last Updated- December 11, 2022 | 10:01 PM IST

बंबई उच्च न्यायालय ने जीएसटी अधिकारियों के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें उन्होंने एक आवेदक के रिफंड दावे को खारिज कर दिया था। अधिकारियों ने ऐसा इसलिए किया कि रिफंड दो वर्ष बाद दाखिल किया गया था जबकि नियम दो वर्ष के भीतर दाखिल करने का है। ऐसा करते हुए अधिकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को ध्यान में नहीं रखा जिसमें 15 मार्च, 2020 और 2 अक्टूबर, 2021 तक की अवधि को कोविड की वजह से समय सीमा से बाहर रखा गया था।
हालांकि उच्च न्यायालय ने परिपत्र की वैधता और इसे रद्द करने के सवाल पर ध्यान नहीं दिया। 

संबंधित याची ने जीएसटी पोर्टल पर पहला रिफंड आवेदन 21 अगस्त, 2020 को जुलाई 2018 से सितंबर 2018 के लिए किया था। हालांकि, केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) के सहायक आयुक्त ने इस आवेदन को मुंबई में 5 सितंबर, 2020 को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि अवेदन में कुछ कमियां थीं।     
इसी तरह, याची ने दूसरा रिफंड आवेदन 8 सितंबर, 2020 को दाखिल किया लेकिन इसे भी सहायक आयुक्त ने कुछ कमियां बताकर रद्द कर दिया।

इसके बाद, याची ने तीसरा रिफंड आवेदन 30 सितंबर, 2020 को दाखिल किया लेकिन इसे उक्त अधिकारी ने इस आधार पर रद्द कर दिया कि आवेदन दो वर्ष की समय सीमा के बाद दाखिल किया गया है जबकि केंद्रीय अप्रत्यक्ष और सीमा शुल्क बोर्ड की ओर जारी परिपत्र में शामिल जीएसटी नियमों में इसकी अवधि दो वर्ष निर्धारित की गई है।
नाराज याची ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका देकर मांग की कि रिफंड के लिए दो वर्ष की समय सीमा को संविधान का उल्लंघन घोषित किया जाए।  उसने यह भी मांग की कि आवेदन को खारिज करने के आदेश को रद्द किया जाए और उसके रिफंड आवेदन को बहाल किया जाए। 

उच्च न्यायालय ने कहा कि विवाद का विषय यह नहीं है कि पहले और दूसरे आवेदन को कुछ कमियों के आधार पर रद्द कर दिया गया था। तीसरे रिफंड आवेदन को जीएसटी नियमों के मुताबिक दो वर्ष के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए था।
हालांकि, इस याची के मामले में ऐसी समयसीमा की अवधि 15 मार्च, 2020 और 2 अक्टूबर, 2021 के बीच में आई जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने अपने सभी कार्यवाहियों से बाहर रखा चाहे वह सामान्य कानून या फिर विशेष कानून से संबंधित हो।    

इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: रिट याचिका में निर्देश जारी किया था कि किसी भी मुकदमे, अपील, आवेदन और या कार्यवाहियों में समय सीमा की गणना करते वक्त कोविड की लहरों के कारण 15 मार्च, 2020 से 2 अक्टूबर, 2021 तक की अवधि को इससे बाहर रखा जाएगा। 
इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि सीजीएसटी के सहायक आयुक्त को इस दौरान की समय सीमा को समय की गणना से बाहर रखें। अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता का तीसरा रिफंड आवेदन निर्धारित समय सीमा के भीतर था। इस मामले में उच्च न्यायालय ने पाया कि सीजीएसटी के अधिकारियों का आदेश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के विपरीत था।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने उस परिपत्र की वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की जिसमें रिफंड दावों के लिए समयसीमा की बात कही गई है। अदालत के कहा कि इस पर किसी उपयुक्त मामले में विचार किया जा सकता है।

First Published - January 16, 2022 | 11:10 PM IST

संबंधित पोस्ट