दुनिया में कच्चे तेल के उत्पादक देशों के सबसे बड़े संगठन OPEC ने प्रतिदिन 20 लाख बैरल कच्चे तेल के उत्पादन में कमी लाने का फैसला किया है। साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण कच्चे तेल के उत्पादन में कमी के बाद यह सबसे अधिक कटौती का फैसला है। कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट हुई है और इस बीच OPEC का यह फैसला इससे एक झटके की तरह है।
वियना में आयोजित सम्मेलन में लिया गया फैसला
OPEC देशों के वियना में आयोजित मंत्रिमंडल स्तर की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। कोरोना महामारी के बाद यह OPEC की पहली बैठक थी जिसमें सदस्य देशों के मंत्रियों ने भाग लिया था। इस बैठक में इस बात की सहमति बनी कि सभी सदस्य देश नवंबर से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करेंगे। हालांकि अमेरिका ने इसपर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
कच्चे तेल की कीमत में गिरावट
पिछले तीन महीनें में कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली है। इस अवधि में कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 90 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। पिछले महीने भी OPEC ने कच्चे तेल के उत्पादन में कुछ कमी की थी। OPEC का मानना है कि वैश्विक आर्थिक स्थिति और कच्चे तेल के बाजार को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
कुछ जानकारों का मानना है कि तेल उत्पादन में कटौती से दाम में बढ़ोतरी की संभावना कम है क्योंकि OPEC पहले से ही अपने तय कोटे के मुताबिक उत्पादन नहीं कर पा रहा है।
फैसले के बाद तेल के दाम बढ़े
OPEC के फैसले के बाद कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी देखी गई। कच्चे तेल की कीमत तीन सप्ताह के अपने सबसे ऊपरी स्तर पर है। White House की प्रवक्ता कैरीन जीन-पियरे ने इसके लिए रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि तेल उत्पादन में कटौती के फैसले से स्पष्ट होता है कि OPEC संगठन रूस के साथ गठजोड़ बढ़ा रहा है। यह एक गलत और गुमराह करने वाला फैसला है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि रूस भी OPEC का सदस्य है।