अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी पिछले तीन महीने से मंदी का रुख बना हुआ है।
यह संकेत इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) के आंकड़ों से मिल रहा है। पिछले तीन महीने से वित्त के लिए यहां बहुत ही कम आवेदन आए हैं। आईआईएफसीएल लंबे समय के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को धन मुहैया कराती है।
आईआईएफसीएल के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन सुरिंदर सिंह कोहली का कहना है कि ‘पिछली जनवरी से हम मंदी देख रहे हैं। इस समय हमारे पास मंजूरी के लिए कोई परियोजना नहीं है।’ हाल के दिनों में कंपनी के पास कम से कम आधा दर्जन परियोजनाएं हमेशा रहती थीं।
इस समय फंड की मांग कम हुई है। यह उस हालत में है जबकि इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में 2012 तक 500 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत महसूस की जा रही है। चल रही परियोजनाओं के लिए भी फंड की मांग में कमी आई है। उदाहरण के लिए आईआईएफसीएल की इंडियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनीशिएटिव में 5 अरब डॉलर की योजना में भी बहुत कम प्रगति नजर आ रही है।
5 अरब डॉलर की योजना में दो घटक थे- डेट फंड का 3 अरब डॉलर और इक्विटी फंड का 2 अरब डॉलर। यह फंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनैंस कंपनी (आईडीएफसी), सिटी ग्रुप और ब्लैकस्टोन द्वारा समर्थित था। डेट फंट, पिछले साल विदेशी पूंजी प्रवाह को रोकने के लिए बने बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) मानकों क ा शिकार हो गया। बहरहाल सब-प्राइम संकट ने सिटी ग्रुप जैसे इक्विटी फंड प्रमोटरों की योजना को शिथिल कर दिया है।
आईआईएफसीएल ने इक्विटी फंड के लिए 2.5 करोड़ डॉलर देने का वायदा किया था। बहरहाल कंपनी अपनी लंदन की सहायक कंपनी के साथ काम शुरू करने की योजना बना रही है। इसमें 300 अरब डॉलर का इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड और 5 अरब डालर के लीवरेज फंड की योजना है। कोहली ने कहा कि आईआईएफसीए अपने लक्षित ऋणों के वितरण और लोन आवंटित करने की योजना पर अमल कर रही है।