नोमूरा ने कहा कि व्यापार शुल्कों में बड़ी वृद्धि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए मुद्रास्फीतिकारी होगी और इससे मंदी को बढ़ावा मिलेगा। नोमूरा के वैश्विक मैक्रो रिसर्च के प्रमुख रॉबर्ट सुब्बारामन का कहना है कि ऊंची कीमतों से उपभोक्ता मांग घटेगी और अनिश्चितता बढ़ने से व्यवसायी अपना निवेश कम करने पर जोर देंगे।
सुब्बारामन ने कहा, ‘अमेरिका की वृद्धि दर में तेज गिरावट आने जा रही है, जो मंदी के करीब होगी। हमारा पूर्वानुमान इस समय मंदी नहीं देख रहा है। लेकिन यह मंदी के काफी करीब है। इसलिए अमेरिका के लिए हमने पूरे वर्ष में 1.4 फीसदी की वृद्धि का अनुमान जताया है। 2 अप्रैल से पहले हमारा अनुमान 2 फीसदी था। लेकिन अब हमने इसे घटा दिया है।’
सुब्बारामन ने कहा कि फेडरल रिजर्व दरों में कटौती की जल्दबाजी नहीं करेगा क्योंकि वह तब तक इंतजार करेगा जब तक यह स्पष्ट न हो जाए कि मुद्रास्फीति का सबसे बुरा दौर खत्म हो चुका है। शायद अमेरिकी केंद्रीय बैंक दिसंबर तक ही दरों में कटौती करेगा।
ब्रोकरेज ने कहा कि उसने ट्रेड टैरिफ के प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभावों को ध्यान में रखते हुए भारत का जीडीपी वित्त वर्ष 2026 के आखिर तक 5.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है। नोमूरा में प्रबंध निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा, ‘हम इस नजरिये से सहमत हैं कि मुद्रास्फीति कोई चुनौती नहीं है, इसलिए उम्मीद है कि इस वर्ष यह 4 फीसदी के आसपास रहेगी।’ लेकिन ब्रोकरेज ने कहा कि उसे व्यापार शुल्कों और अन्य वैश्विक चुनौतियों की वजह से
अल्पावधि में चक्रीय मंदी की आशंका है।
नोमूरा में कार्यकारी निदेशक और भारतीय मामलों के अर्थशास्त्री औरोदीप नंदी ने कहा, ‘हम घरेलू बैलेंस शीट पर दबाव देख रहे हैं। हमारे पास वास्तविक आय कम है, खासकर शहरी क्षेत्र में। निजी पूंजीगत व्यय चक्र संघर्ष कर रहा है। यही कारण है कि ट्रंप टैरिफ से पहले भी, हमारा वास्तव में जीडीपी वृद्धि अनुमान कम ही था। हमने वित्त वर्ष 2026 के लिए 6 फीसदी की वृद्धि का अनुमान जताया था, जिसे अब घटाकर 5.8 फीसदी किया है।’
नोमूरा ने अनुमान जताया है कि निफ्टी अपने मौजूदा स्तर से निचले एक अंक में रिटर्न देगा। ब्रोकरेज ने मार्च 2026 तक निफ्टी के लिए 24,970 का लक्ष्य निर्धारित किया है जो गुरुवार के बंद (24,247) के मुकाबले महज 3 फीसदी की वृद्धि का संकेत है।