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केंद्र सरकार कर रही प्राइवेट ई-बसों के लिए प्रोत्साहन पर विचार: नीति आयोग

Electric Buses के लिए प्रोत्साहन का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 40 फीसदी ई-बसों की तैनाती और 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है

Last Updated- August 09, 2023 | 10:27 PM IST
Plan to set up payment security system for e-buses

सार्वजनिक परिवहन में पर्यावरण के अनुकूल वाहनों की तैनाती को रफ्तार देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार निजी इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की खरीद के लिए खास प्रोत्साहन योजना तैयार कर रही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी जानकारी मिली है।

फिलहाल राज्य परिवहन निगमों (एसटीयू) से जुड़ी बसों को ही फेम-2 प्रोत्साहन योजना का लाभ मिल रहा है। देश की सड़कों पर चलने वाली करीब 20 लाख बसों में निजी बसों की हिस्सेदारी करीब 90 फीसदी है। ऐसे में निजी बसों के विद्युतीकरण को काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पर्यावरण को प्रदूषित करने में उनका ही हाथ ज्यादा होता है।

नीति आयोग के सलाहकार (बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी- परिवहन एवं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी) सुधेंदु सिन्हा ने बताया कि निजी ई-बसों की खरीद को प्रोत्साहित करने की नीति बनाई जा रही है।

उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने बस विनिर्माताओं और उनके संगठनों से मांग और जरूरत की विस्तृत जानकारी मांगी है। उनकी सिफारिशों पर विचार करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।’ इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 40 फीसदी ई-बसों की तैनाती और 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा फेम-2 की तर्ज पर तैयार की जा रही इस नई प्रोत्साहन योजना को फेम-3 कहा जाएगा अथवा यह कोई अलग योजना होगी। भारी उद्योग मंत्रालय और सड़क परिवहन मंत्रालय मिलकर इस नीति पर काम कर रहे हैं। फेम-2 योजना के तहत ई-बसों के लिए 20,000 रुपये प्रति किलोवॉट घंटा सब्सिडी दी जाती है बशर्ते वह वाहन की 40 फीसदी लागत और 2 करोड़ रुपये की एक्स-फैक्ट्री कीमत से अधिक न हो। दिशानिर्देशों के अनुसार ई-बस के लिए बैटरी की क्षमता 250 किलोवॉट घंटा होती है।

सरकार का कहना है कि इस सब्सिडी से विनिर्माताओं को ई-बस की कीमत करीब 50 लाख रुपये तक घटाने में मदद मिलेगी। सब्सिडी बगैर ई-बस की कीमत करीब 1.2 करोड़ रुपये होती है, जो डीजल बस के मुकाबले करीब पांच गुना अधिक है।

ई-बसों की कीमत अधिक होने के कारण ग्राहक आम तौर पर उन्हें खरीदने से हिचकिचाते थे। ऐसे में आगामी प्रोत्साहन योजना के कारण देश के सार्वजनिक परिवहन को स्वच्छ बनाने में नाटकीय तेजी दिख सकती है।

फेम-2 प्रोत्साहन के बावजूद ई-बसों की ऊंची कीमत, कर्ज के अभाव और खस्ताहाल राज्य परिवहन निगमों के कारण सरकार की पिछली निविदाओं में कम भागीदारी दिखी थी।

First Published - August 9, 2023 | 10:27 PM IST

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