वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमानों को लेकर बजट में करों और राजकोषीय घाटे जैसे प्रमुख आंकड़ों के संदर्भ में सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के मुकाबले ज्यादा सतर्क नजर आ रही है।
एमपीसी ने बुधवार को हुई अपनी बैठक में वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि 11.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। हालांकि आरबीआई की समिति ने सांकेतिक जीडीपी वृद्धि का अनुमान नहीं जताया है, लेकिन उसका मानना है कि वास्तविक आर्थिक वृद्धि 6.4 प्रतिशत और खुदरा कीमतों से संबंधित मुद्रास्फीति 5.3 प्रतिशत रहेगी।
दूसरी तरफ, वित्त वर्ष 2024 के लिए बजट में जीडीपी वृद्धि 10.5 प्रतिशत के साथ 301.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अग्रिम अनुमान जताया है, जो चालू वित्त वर्ष के लिए 273.08 लाख करोड़ रुपये है।
भले ही बजट में वास्तविक आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बारे में कोई स्पष्ट आंकड़ा पेश नहीं किया गया, लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि वास्तविक आर्थिक वृद्धि का आंकड़ा 6 प्रतिशत और मुद्रास्फीति के लिए यह 4.5 प्रतिशत है।
यदि एमपीसी के अनुमान सही साबित होते हैं तो संशोधित अनुमानों को अंतिम रूप दिए जाने पर बजट में प्रस्तावित कई आंकड़े बदल जाएंगे। उदाहरण के लिए, बजट में कर प्राप्तियों के लिए लगभग समान वृद्धि 10.44 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
भले ही इस कर राजस्व वृद्धि को बेहद सतर्क अनुमान समझा जा रहा है, लेकिन कर राजस्व में तेजी भी आएगी। लेकिन यदि एमपीसी के अनुमान सही साबित हुए तो कर राजस्व 11.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। 11.7 प्रतिशत के हिसाब से कर संग्रह बजट में प्रस्तावित 33.61 लाख करोड़ रुपये के बजाय 33.99 लाख करोड़ रुपये होगा।
करों के साथ साथ, राजकोषीय घाटे जैसे कई अन्य अनुपात भी बदल जाएंगे। यदि यह मान लिया जाए कि खर्च में कर प्राप्तियों के अनुरूप इजाफा होगा और राजकोषीय घाटा 17.87 लाख करोड़ रुपये पर बना रहेगा (2023-24 के बजट में अनुमानित), तो खर्च और सरकार की प्राप्तियों के बीच अंतर बजट में जताए गए 5.9 प्रतिशत के बजाय 5.8 प्रतिशत होगा।
एमपीसी के अनुमानों से हर कोई सहमत नहीं है। उदाहरण के लिए, एचडीएफसी बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हमें यह अनुमान (6.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि) घटाए जाने की संभावना है। हमें वित्त वर्ष 2024 में 5.8-6 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान है।’
एमपीसी का मानना है कि बाहरी और आंतरिक आर्थिक घटनाक्रमों से पिछली मौद्रिक नीति के अनुमानों के मुकाबले ज्यादा आर्थिक वृद्धि तथा कम मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिलेगा।
एमपीसी ने सामान्य मॉनसून को ध्यान में रखते हुए अगले वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। उसने पिछली नीतिगत बैठक में पूरे वर्ष की मुद्रास्फीति का अनुमान नहीं जताया था।