केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) कुछ खास उद्योगों में हरित हाइड्रोजन अनिवार्य किए जाने के लिए कैबिनेट से मंजूरी मांगेगा। इनमें रिफाइनरी और उर्वरक जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भर उद्योग भी शामिल होंगे।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा, ‘हमने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय जैसे अन्य कुछ मंत्रालयों से इस संदर्भ में बात की है और कुछ आंकड़े सामने आए हैं। हम जल्द ही मंत्रिमंडल के पास जाएंगे।’
मंत्री ने ग्रीन हाइड्रोजन की खपत को लेकर खुलासा नहीं किया कि इन सेक्टरों को न्यूनतम कितना इस्तेमाल करने की जरूरत होगी। इन क्षेत्रों में बमुश्किल ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है, उन्हें विनिर्माण व प्रमुख प्रक्रिया में इसके प्राथमिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना होगा।
एमएनआरई ने पिछले सप्ताह हरित हाइड्रोजन की परिभाषा जारी की थी। उसके पहले मंत्रालय ने केंद्र द्वारा हरित हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण परियोजनाओं को हरित हाइड्रोजन के आवंटन के लिए निविदा का मसौदा तैयार करने के लिए विशिष्टताएं अधिसूचित की थी।
मंत्रालय ने पिछले सप्ताह एक बयान में कहा था, ‘एमएनआरई ने हरित हाइड्रोजन को बेहतर उत्सर्जन रखने वाले (उदारहण के लिए जल शोधन, इलेक्ट्रोलिसिस, गैस शुद्धिकरण, सुखाने व हाइड्रोजन के कंप्रेशन) के रूप में परिभाषित करने का फैसला किया है, जो 2 किलो सीओ2 समकक्ष प्रति किलो एच2 से अधिक नहीं होगा।’
इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नैशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,500 करोड़ रुपये की शुरुआती मंजूरी दी थी, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर की थी।