म़ॉरिशस अपने सब्सिडी वाले खाद्य कार्यक्रम को चलाने और पाकिस्तान से आयात कम करने के लिए भारत से करीब 33,000 टन चावल आयात के दीर्घकालीन समझौते पर विचार कर रहा है। मॉरिशस स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन टेकेश लक्खो ने यह जानकारी देते हुए कहा कि भारत द्वारा बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद पाकिस्तान उल्लेखनीय चावल आपूर्तिकर्ता बन गया है।
वैश्विक चावल सम्मेलन के दौरान अलग से बातचीत करते हुए लक्खो ने संवाददाताओं के एक चुनिंदा समूह को बताया कि घरेलू बाजार में चावल की कीमत पर काबू पाने के लिए भारत ने 2023 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, उसके बाद पाकिस्तान देश का उल्लेखनीय चावल आपूर्तिकर्ता बन गया।
प्रतिबंध के पहले दीर्घावधि समझौते के माध्यम से भारत से ही मॉरिशस को ज्यादातर चावल की आपूर्ति होती थी। भारत सरकार के प्रतिबंध के बाद मॉरिशस सरकार ने खुली निविदा की प्रक्रिया शुरू की, जिसके बाद पाकिस्तान ने बाजार पर कब्जा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि अब वे स्थिति को बदलना चाहते हैं, क्योंकि भारत ने प्रतिबंध हटा लिया है। पाकिस्तान वैश्विक चावल बाजार में भारत का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है।
लक्खो ने कहा, ‘हालांकि प्रतिबंध के दौरान भी दोनों सरकारों के बीच समझौते के माध्यम से कुछ मात्रा में चावल की आपूर्ति की गई थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था।’ मॉरिशस को हर साल लगभग 1,000 टन बासमती चावल और 32,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल की आवश्यकता होती है। वह अपने शुरुआती वर्षों से ही कल्याणकारी उपाय के तहत 13 लाख लोगों को अत्यधिक सब्सिडी वाली दर पर गैर-बासमती सफेद चावल की आपूर्ति कर रहा है।
लाभार्थियों को बेचे जाने वाले सफेद चावल का 2.5 किलो का पैकेट लगभग 26 मॉरिशस के रुपये में बेचा जाता है। मॉरिशस का 1 रुपया लगभग 1.94 भारतीय रुपये के बराबर होता है। लक्खो ने कहा, ‘खुले बाजार में उस पैकेट की कीमत लगभग मॉरिशस के करीब 56 रुपये है।’ मॉरिशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम की हाल की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए हैं।