अर्थव्यवस्था

Manufacturing PMI ने चूमी 16 साल की ऊंचाई, HSBC के सर्वे में रोजगार को लेकर भी कई बातें आईं सामने

सर्वे के मुताबिक नौकरियों का सृजन सुस्त था, लेकिन यह सितंबर 2023 के बाद सबसे बेहतर है।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- April 02, 2024 | 10:58 PM IST

वित्त वर्ष 2024 के आखिरी महीने में भारत के विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन शानदार रहा है। इस क्षेत्र का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में बढ़कर 59.1 पर पहुंच गया, जो 16 साल में सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इस साल फरवरी में यह 56.9 पर था।

एचएसबीसी ने पीएमआई के आंकड़े आज जारी किए और साथ में पीएमआई सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा कि अक्टूबर 2020 के बाद से उत्पादन और नए ऑर्डर में सबसे तेज वृद्धि के कारण विनिर्माण क्षेत्र को गति मिली है। जब से सर्वे आरंभ हुआ है तब से माल के भंडार में इस बार दूसरी सबसे तेज उछाल थी।

सर्वे में कहा गया है, ‘रोजगार धनात्मक हो गया है और फर्मों ने खरीद बढ़ाई है। मार्च में लागत का थोड़ा दबाव था, लेकिन वस्तुओं के उत्पादकों ने ग्राहकों की खरीदने की क्षमता को प्राथमिकता दी और साल में अपनी दरें बहुत मामूली बढ़ाईं। विनिर्माण पीएमआई 21 मार्च को जारी अनुमान 59.2 की तुलना में थोड़ा कम 59.1 पर है।

मार्च के आंकड़ों से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन अक्टूबर 2020 के बाद लगातार 33वें महीने बढ़ा है।

सर्वे में कहा गया है कि नए ऑर्डर में वृद्धि से गति मिली है और मार्च के दौरान साढ़े तीन साल की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। मांग तेज रहने की रिपोर्ट कारण ऐसा हुआ है। देसी और विदेशी दोनों ही बाजारों से नए काम की मांग आई है। अफ्रीका, एशिया, यूरोप और अमेरिका में बिक्री बेहतर होने के संकेत मिले हैं और मई 2022 के बाद नए निर्यात ऑर्डर में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है।

एचएसबीसी में अर्थशास्त्री आइनेस लाम ने कहा, ‘भारत के मार्च के विनिर्माण पीएमआई में 2008 के बाद सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। विनिर्माण कंपनियों ने नए ऑर्डर व ज्यादा उत्पादन को देखते हुए भर्तियां बढ़ाई हैं। मजबूत मांग और क्षमता में थोड़ी कमी होने के कारण मार्च में इनपुट लागत की महंगाई मामूली बढ़ी है।’

सर्वे में यह भी कहा गया है कि ग्राहक, इंटरमीडिएट और इनवेस्टमेंट गुड्स सेक्टर सहित सभी में वृद्धि तेज रही है और अगर नए ऑर्डर देखें तो उत्पादन में सबसे तेज वृद्धि इन्वेस्टमेंट गुड्स में हुई है।

रोजगार के बारे में सर्वे में कहा गया है कि इसके पहले के दो महीनों में व्यापक स्तर पर पेरोल के आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं हुआ किंतु मार्च में भारत के विनिर्माताओं ने अतिरिक्त कामगारों की मदद ली है। सर्वे के मुताबिक नौकरियों का सृजन सुस्त था, लेकिन यह सितंबर 2023 के बाद सबसे बेहतर है।

सर्वे में यह भी कहा गया है कि भारतीय कंपनियां कुछ चीजों को लेकर आशावान थीं मगर कुल मिलाकर धारणा 4 महीने के निचले स्तर पर रही क्योंकि महंगाई की चिंता उनका आत्मविश्वास कमजोर कर रही है।

सर्वे में कहा गया है, ‘पिछली स्थितियों के मुताबिक मामूली रहने के बावजूद लागत का दबाव 5 महीनों के उच्च स्तर पर था। कंपनियों ने कपास, लोहे, मशीनरी टूल्स, प्लास्टिक और स्टील के लिए ज्यादा भुगतान किए हैं।’

First Published : April 2, 2024 | 10:58 PM IST