June Manufacturing PMI
Manufacturing PMI: भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने जून 2025 में जबरदस्त तेजी दिखाई। HSBC India Manufacturing Purchasing Managers’ Index (PMI) के मुताबिक, जून में PMI बढ़कर 58.4 पहुंच गया, जो मई में 57.6 था। ये बीते 14 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। यह डेटा मंगलवार को S&P Global ने जारी किया।
जून महीने में भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जबरदस्त मजबूती मिली, जिसकी सबसे बड़ी वजह रही एक्सपोर्ट ऑर्डर में तेजी। 2005 से अब तक के सर्वे हिस्ट्री में यह तीसरा सबसे तेज ग्रोथ रहा नए एक्सपोर्ट ऑर्डर्स में। खासकर अमेरिका से बड़े पैमाने पर ऑर्डर आए।
ये तेजी सिर्फ एक-दो कैटेगरी में नहीं, बल्कि कंज़्यूमर गुड्स, इंटरमीडिएट गुड्स और कैपिटल गुड्स — सभी सेगमेंट्स में देखने को मिली।
वहीं, प्रोडक्शन वॉल्यूम भी अप्रैल 2024 के बाद सबसे तेज़ रफ्तार से बढ़ा। हालांकि, यह ग्रोथ सभी सेक्टरों में एक जैसी नहीं रही।
इंटरमीडिएट गुड्स बनाने वाली कंपनियों ने सबसे ज्यादा तेजी दिखाई, जबकि कंज़्यूमर और कैपिटल गुड्स सेक्टर्स की ग्रोथ थोड़ी धीमी रही।
सर्वे के मुताबिक, यह ऑर्डर ग्रोथ मार्केटिंग इनिशिएटिव्स और एक्सपोर्ट सेल्स बढ़ने की वजह से आई।
इन सबके बीच मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को राहत की बात ये रही कि इनपुट कॉस्ट (जैसे कच्चे माल की कीमतें) फरवरी के बाद सबसे कम रही, हालांकि आयरन और स्टील जैसे कुछ आइटम्स की कीमतें बढ़ीं।
HSBC की चीफ इंडिया इकॉनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा, “मजबूत डिमांड की वजह से कंपनियों ने आउटपुट बढ़ाया, नए ऑर्डर्स मिले और हायरिंग भी बढ़ी। खासकर इंटरनेशनल डिमांड बहुत अच्छी रही, जिससे कंपनियों को अपनी इनवेंटरी से भी प्रोडक्ट निकालने पड़े। इसी वजह से फिनिश्ड गुड्स का स्टॉक लगातार कम होता जा रहा है। वहीं, इनपुट प्राइस थोड़े कम हुए, लेकिन कई कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ाकर ये लागत कस्टमर्स को पास कर दी।”
जून महीने में रोजगार के आंकड़ों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली। एक सर्वे के मुताबिक, इस महीने हायरिंग की रफ्तार अब तक की सबसे तेज़ रही। हालांकि, यह बढ़ोतरी ज़्यादातर शॉर्ट टर्म हायरिंग यानी कुछ समय के लिए की गई नौकरियों की वजह से हुई है। कंपनियों ने बढ़ते वर्कलोड और बैकलॉग्स को क्लियर करने के लिए अस्थायी रूप से लोगों को रखा है। मई में जहां काम का दबाव थमा हुआ था, वहीं जून में इसमें फिर से तेजी देखी गई।
दूसरी ओर, इंडस्ट्री से जुड़े आंकड़े थोड़े निराशाजनक रहे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मई महीने में इंडस्ट्रियल आउटपुट सिर्फ 1.2% बढ़ा, जो पिछले 9 महीनों में सबसे धीमी ग्रोथ है। खासकर बिजली उत्पादन में 5.8% की बड़ी गिरावट आई, जिसका कारण समय से पहले आया मानसून बताया जा रहा है। यह बिजली उत्पादन में 9 महीनों में पहली गिरावट थी और जून 2020 के बाद सबसे तेज गिरावट रही। साथ ही, माइनिंग सेक्टर की परफॉर्मेंस भी कमजोर रही, जहां उत्पादन में 0.1% की गिरावट दर्ज हुई – लगातार दूसरा महीना जब इसमें गिरावट आई है।
फरवरी से जून के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पॉलिसी रेपो रेट में कुल 100 बेसिस प्वाइंट्स (यानी 1%) की कटौती की है। अब यह दर घटकर 5.5% रह गई है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि महंगाई दर आरबीआई के कंफर्ट ज़ोन में आ गई है।
इस कटौती से होम लोन जैसे लॉन्ग-टर्म लोन लेने वालों को राहत मिलेगी, क्योंकि इससे उनकी EMI कम होने की उम्मीद है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई (retail inflation) का अनुमान भी घटाकर 3.7% कर दिया है, जबकि अप्रैल में यह अनुमान 4% था।
GDP ग्रोथ को लेकर आरबीआई ने अपना अनुमान पहले जैसा ही रखा है — यानी 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ सकती है। तिमाही ग्रोथ अनुमान इस तरह हैं:
PMI यानी Purchasing Managers’ Index एक आर्थिक संकेतक (economic indicator) है, जो किसी सेक्टर में बिज़नेस एक्टिविटी को मापता है। यह इंडेक्स प्रोडक्शन, नए ऑर्डर, नौकरी (employment), सप्लायर्स की परफॉर्मेंस और इनवेंटरी जैसी चीज़ों पर आधारित होता है। इसे खरीद प्रबंधकों (purchasing managers) के जवाबों के आधार पर तैयार किया जाता है।
अगर PMI का नंबर 50 से ऊपर होता है, तो इसका मतलब है कि उस सेक्टर में ग्रोथ हो रही है यानी बिज़नेस बढ़ रहा है। अगर रीडिंग 50 से नीचे आती है, तो समझिए कि उस सेक्टर में गिरावट हो रही है। और अगर रीडिंग ठीक 50 है, तो इसका मतलब है कि बिज़नेस एक्टिविटी में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।