इजरायल के आर्थिक मामलों के मंत्री नीर बरकत दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बढ़ाने के लिए भारत आए थे। बरकत ने इस सप्ताह अपनी यात्रा के दौरान यहां के मंत्रियों, सीईओ और उद्योग प्रतिनिधियों से मुलाकात की। शिवानी शिंदे और देव चटर्जी से बातचीत में बरकत ने व्यापार बढ़ाने के इजरायल की क्लस्टर पद्धति के बारे में भी बताया।
मुख्य अंश:
इजरायल अपने 10,000 स्टार्टअप को सफल बनाने के लिए क्या कदम उठा रहा है?
इजरायल की सोच या डीएनए में यह है कि कभी हार नहीं मानना है। यही हमारे स्टार्टअप का डीएनए भी है। जब नए विचार के साथ आते हैं तो हमें सफल होना ही होता है। हम सफलता को पाने के लिए हर दरवाजे को खोलना सुनिश्चित करेंगे। जब दरवाजे बंद हों तो हम खिड़की या सुरंग से प्रवेश करेंगे। हमारे पास सफल होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए आपकी क्या योजना है?
हम सालाना 160 अरब डॉलर का सामान निर्यात कर रहे हैं जबकि भारत करीब 800 अरब डॉलर का निर्यात कर रहा है। हम भारत से 150 गुना छोटे हैं। मेरा लक्ष्य निर्यात को इस 160 अरब डॉलर से अगले 15-20 वर्षों में बढ़ाकर 1 लाख करोड़ डॉलर पर ले जाना है। इसे हासिल करने का तरीका यही है कि दुनियाभर से अधिक सहयोग कायम करें। हम चाहते हैं कि इजरायल के उद्यमी अपनी पहुंच बढ़ाएं और नए बिज़नेस मॉडल को विकसित करें।
आपने भारत यात्रा से मुख्य तौर पर क्या हासिल किया?
भारत के कई कारोबार समूह के इजरायल से बेहद अच्छे संबंध हैं। हमने जिन कंपनियों से मुलाकात की है, उनमें से एक 63 मून्स भी थी। यह कंपनी साइबर सुरक्षा में है और इजरायल की कई कंपनियों से सहयोग कायम कर रही है। हमारे यहां प्रतिरक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में 860 कंपनियां हैं। इजरायल साइबर सुरक्षा नवाचार के क्षेत्र में जाना-माना नाम है। हम साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग चाहते हैं।
इसे कैसे करने की योजना है?
हम हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर माइकल पोर्टर के साथ काम कर रहे हैं और उन्होंने इजरायल में प्रतिस्पर्धी क्लस्टर का खाका खींचा है। यह केवल कंपनियों तक नहीं है बल्कि यह शोध, अकादमिक सहयोग व शोध, आधारभूत ढांचे आदि तक संपर्क और पहुंच बनाने तक भी है। हम इन क्लस्टर की मजबूती को बढ़ा रहे हैं ताकि वे आसानी से वैश्विक सहयोग कायम कर सकें।
उदाहरण के तौर पर कृषि तकनीक क्लस्टर में तीन खंड हैं। ये हैं : एग्रोटेक जो खेती से उपज बढ़ाने पर केंद्रित है, फूड टेक जो भोजन से संबंधित है और जलीयकृषि जो मछली पालन के क्षेत्र में अवसरों का सृजन करती है। यह ऐसा एक क्षेत्र है जिसमें भारत की भी रुचि है। इजरायल के एक अकादमिक संस्थान ने समु्द्री मछली सी बास का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोटोकॉल विकसित किया है।
इस प्रोटोकॉल की बदौलत मछली सी बास के अंडों के जीवित रहने की दर में 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और इस प्रोटोकॉल का कई देश इस्तेमाल कर रहे हैं। अब वे ब्लूफिन और येलोफिन टूना मछली के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का प्रोटोकॉल विकसित कर रहे हैं। हमें इसे बढ़ावा देने के लिए साझेदारों की तलाश है।
मैं भारत में वृद्धि के दायरे व स्तर और इस देश में विकसित की जा रही तकनीक को देखकर आश्चर्यचकित हूं। भारत और इजरायल में अच्छे संबंध व भरोसे को देखते हुए हमारे लिए व्यापक संभावनाएं हैं। हमने इजरायल में भारत के श्रमिकों का भी स्वागत किया है। अभी इजरायल में 12,000 भारतीय काम कर रहे हैं। हमारे यहां 1,20,000 फिलिस्तीनी श्रमिक काम कर रहे थे।
लेकिन 7 अक्टूबर के हमले के बाद हम फिलिस्तीनी श्रमिकों की जगह मित्र देशों के श्रमिक चाहते हैं। इजरायल में औसत वेतन 54,000 अमेरिकी डॉलर है जबकि यह भारत में 2,000 डॉलर है। हम इजरायल में भारत के करीब 2,00,000 लोगों की सेवाएं लेने के इच्छुक हैं। हम इजरायल में काम के लिए कुशल और अकुशल दोनों तरह के कामगारों का स्वागत करते हैं।
इजरायल के आईटी क्षेत्र में क्षमता तैयार करने के लिए क्या योजनाएं बना रहे हैं?
हमने क्लस्टर एप्रोच से सीखा है कि हमें एआई क्लस्टर बनाए जाने की जरूरत है। इजरायल में 10,000 स्टार्टअप हैं। हम डिजिटल वर्ल्ड में शोध व विकास के लिए अपने डिजिटल रिकॉड्र्स तक पहुंच देने के लिए भी तैयार हैं।
अदाणी समूह ने इजरायल में हाइफा बंदरगाह का अधिग्रहण किया है। इजरायल में भारत के निवेश की रक्षा करने की क्या योजना है?
इजरायल में विदेशी कारोबार और इजरायली कारोबार में कोई अंतर नहीं है। हमारे यहां सभी के लिए समान स्तर की सुरक्षा है। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद हमने बीती तिमाही में व्यापार में 3.8 फीसदी की वृद्धि हासिल की। इजरायल बेहद मजबूत है।