अर्थव्यवस्था

अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेच्छा से होना चाहिए, दबाव में नहीं: संघ प्रमुख मोहन भागवत

आरएसएस के शताब्दी वर्ष के अवसर पर यहां एक व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि आत्मनिर्भरता सभी समस्याओं का समाधान है

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भाषा   
Last Updated- August 27, 2025 | 11:03 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आत्मनिर्भरता की पुरजोर वकालत करते हुए बुधवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेच्छा से होना चाहिए, दबाव में नहीं। आरएसएस के शताब्दी वर्ष के अवसर पर यहां एक व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि आत्मनिर्भरता सभी समस्याओं का समाधान है और उन्होंने स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया।

भागवत ने कहा, ‘आत्मनिर्भर होने का मतलब आयात बंद करना नहीं है। दुनिया आगे बढ़ती है, क्योंकि यह एक-दूसरे पर निर्भर है। इसलिए आयात-निर्यात जारी रहेगा। हालांकि, इसमें कोई दबाव नहीं होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि स्वदेशी का मतलब यह नहीं है कि उन वस्तुओं का आयात न किया जाए, जो देश में पहले से मौजूद हैं या जिनका विनिर्माण आसानी से किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘विदेशों से वस्तुएं आयात करने से स्थानीय विक्रेताओं को नुकसान होता है।’ भागवत की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है, जब रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लागू हो गया है। उन्होंने कहा, ‘जो कुछ भी आपके देश में बनता है, उसे बाहर से आयात करने की कोई जरूरत नहीं है। जो कुछ भी जीवन के लिए जरूरी है और आपके देश में नहीं बनता, उसे हम बाहर से आयात करेंगे।’ भागवत ने कहा, ‘देश की नीति स्वेच्छा से बनाई जानी चाहिए, किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए। यही स्वदेशी है।’ 

First Published : August 27, 2025 | 10:56 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)