facebookmetapixel
Silver Price Outlook: क्या चांदी $62 तक जा सकती है? पूरी कहानीविदेशी निवेशकों के लिए खुशखबरी, SEBI लाएगा डिजिटल FPI रजिस्ट्रेशन सिस्टम!Large Cap Funds: स्टेबल रिटर्न चाहिए? पोर्टफोलियो का 30–70% हिस्सा लार्ज-कैप फंड्स में लगाएंइंफ्रा, कने​क्टिविटी, मजबूत कानून-व्यवस्था ने यूपी में टूरिज्म को दी नई ऊंचाई, BS समृद्धि में बोले पर्यटन मंत्रीNFO Alert: केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस ने उतारा नेक्स्टजेन कंजम्पशन फंड, क्या है इसमें खास?PM-KISAN की 21वीं किस्त जारी: 9 करोड़ किसानों को मिले 18,000 करोड़ रुपयेयूपी में एयरपोर्ट की तर्ज पर बनेंगे 23 बस अड्डे, दौड़ेंगी 25000 बसें: BS समृद्धि में बोले परिवहन मंत्रीRailway Stock: कमजोर परफॉर्मेंस के बाद भी ब्रोकरेज ने कहा- खरीद लें शेयर, ₹1,064 दिया टारगेटबिजली, सड़क, शिक्षा और हेल्थ: 2017 के बाद यूपी में हर सेक्टर में हुए बड़े सुधार- BS समृद्धि में बोले उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठकबॉलीवुड अभिनेत्री काजोल ने किराये पर दी प्रॉपर्टी, 9 साल में कमाएंगी ₹8.6 करोड़

वै​श्विक मंदी के डर से नरम पड़ेगी मुद्रास्फीति

Last Updated- December 11, 2022 | 5:35 PM IST

वित्त मंत्रालय के आर्थिक प्रकोष्ठ ने जून की मासिक आर्थिक रिपोर्ट में संभावना जताई है कि विश्व भर में मंदी के दबाव के कारण वैश्विक कीमतों में कमी आएगी और उससे भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव भी कम हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर स्थानीय संकेतक वैश्विक वृहद आ​र्थिक उथल-पुथल का सामना कर ले रहे हैं और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बेहतर संग्रह तथा विंडफॉल कर प्राप्ति से घाटे के बजट का दबाव कम हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियां विकास में बाधक बन रही हैं क्योंकि भारत में कच्चे तेल और खाद्य तेल में तेजी से महंगाई बढ़ी है।  हालांकि इनकी कीमतों में थोड़ी नरमी आई है, जिससे मंदी का खटका भी कम होता दिख रहा है। इससे देश में मुद्रास्फीति का दबाव भी कम होगा।
जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फी​ति 7.01 फीसदी पर रही। यह लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 4 फीसदी के औसत लक्ष्य से ऊपर रही है। इससे लगता है कि रिजर्व बैंक आगे दरें और बढ़ा सकता है। रिपोर्ट बताती है कि करीब पांच महीनों से रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण भारत की आर्थिक गतिविधियां बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ते व्यापार घाटे की चुनौती के बावजूद सुचारु रूप से चलती रही हैं। कृषि और विनिर्माण में भी तेजी दिख रही है।   
वित्तीय क्षेत्र की स्थिति भी ठीक रही और निजी क्षेत्रों में निवेश फिर से बढ़ने लगा है। रिपोर्ट के अनुसार में अप्रैल से जून के बीच देश के निजी क्षेत्रों में रिकॉर्ड 85 फीसदी निवेश आया है, जो पिछली चार तिमाही में 60 फीसदी के करीब ही था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पूंजीगत व्यय पर केंद्र के जोर से जीडीपी की तुलना में बजट घाटे का अनुपात बनाए रखने में परेशानी हो सकती है क्योंकि अप्रैल, मई में केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह में कमी देखी गई है। इसकी वजह पेट्रोल, डीजल की कीमतें घटाने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती किया जाना है।
रिपोर्ट के अनुसार बढ़िया वस्तु एवं सेवा कर संग्रह, सीमा शुल्क में बढ़ोतरी और विंडफॉल कर लगाने से सरकार के राजस्व में वृद्धि देखी जा सकती है और राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के करीब रखने में मदद मिलेगी। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी पर रोकने का लक्ष्य है।

First Published - July 14, 2022 | 11:35 PM IST

संबंधित पोस्ट