CEA On Economic Survey 2024: आम बजट से एक दिन पहले भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2024 की रिपोर्ट आने के बाद आज यानी 22 जुलाई को मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) डॉक्टर अनंत नागेश्वरन ने प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में महंगाई दर का दबाव कम हो गया है और यह कंट्रोल में है। प्रमुख महंगाई दर (core inflation) भी 4 फीसदी के नीचे है।
CEA अनंत नागेश्वरन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम विवेकपूर्ण तरीके से ग्रोथ रेट का अनुमान लगाना चाहते हैं और इसलिए हमने वित्त वर्ष 24 में भारत में आर्थिक वृद्धि (India’s Economic Growth Projection 2024) 6.5 से 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में CEA नागेश्वरन ने कहा कि 7 फीसदी की इकनॉमिक ग्रोथ रेट का लक्ष्य हासिल करना संभव है लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि मानसून की बारिश कैसी होती है।
आज के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले दो सालों से खाद्य मुद्रास्फीति (food inflation) एक वैश्विक घटना बनी हुई है। खराब मॉनसून की वजह से फसलों और खाने-पीनें की चीजों की कीमतों पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
CEA नागेश्वरन ने कहा कि मार्च 2024 तक यानी FY24 के लिए एवरेज ग्रोथ रेट 8 फीसदी के आसपास है और रियल जीडीपी (real GDP Growth) 20 फीसदी के ऊपर है। यह आंकड़ा कोविड की महामारी से पहले की स्थिति में पहुंच चुका है।
उन्होंने कहा कि निवेश में जो तेजी आई है वह सिर्फ पब्लिक सेक्टर (सरकार) में पूंजीगत खर्च (capex) से नहीं आई है बल्कि राज्य और केंद्र सरकारें, दोनों मिलकर भी पूंजीगत उत्पादन बढ़ा रही हैं। साथ ही प्राइवेट सेक्टर में भी पूंजीगत खर्च रिकवर हुआ है और लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
CEA ने कहा कि भारत को हर साल 80 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना को लेकर भी बयान दिया और कहा कि PLI प्रमुख क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने लगी है।
CEA ने माल और पूंजी के आयात (import of goods and capital) को संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समय के साथ चीन में मैन्युफैक्चर किए गए इनपुट पर (Chinese manufacturing inputs) भारत की निर्भरता बढ़ी है, जिससे चीन के साथ व्यापार घाटे में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए जो वजहें और हैं जो इस घाटे को और बढ़ा सकती हैं, वे हैं- पश्चिमी देशों द्वारा चीन से हटकर व्यापार का झुकाव। अगर ऐसा होता है तो भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा और पश्चिमी देशों को ज्यादा सप्लाई करेगा। ऐसी स्थिति में भारत को चीन से ज्यादा रॉ मैटेरियल्स खरीदने पड़ेगे और व्यापार घाटे में और बढ़ोतरी होगी।