भारत के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर में 2 आधार अंक की मामूली कमी आई है। अप्रैल में महंगाई दर 11 महीने के निचले स्तर 4.83 प्रतिशत पर आ गई। इसे प्रमुख और ईंधन की महंगाई दर में कमी का सहारा मिला है। हालांकि इस दौरान खाद्य महंगाई दर बढ़ी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर 8.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो इसके पहले के महीने में 8.52 प्रतिशत थी। फल (5.22 प्रतिशत), तेल (9.43 प्रतिशत), मोटे अनाज (8.63 प्रतिशत), और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों मांस और मछली (8.17 प्रतिशत) की कीमत बढ़ी है।
हालांकि इस दौरान सब्जियों (27.8 प्रतिशत) और दलहन (16.84 प्रतिशत) की कीमत में पिछले महीने की तुलना में कमी आई है, लेकिन इनकी महंगाई दर अभी अप्रैल में भी दो अंकों में बनी हुई है।
ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि अप्रैल 2024 में खुदरा महंगाई में गिरावट जारी रही और गिरावट का दौर दिसंबर 2023 से ही चल रहा है। यह लगातार दूसरा महीना है, जब महंगाई दर 5 प्रतिशत से नीचे है।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि खाद्य महंगाई दर मामूली बढ़कर 8.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है, पेट्रोलियम से जुड़े जिंसों जैसे ईंधन और बिजली व ट्रांसपोर्ट और संचार सेवाओं की महंगाई दर कम है। प्रमुख महंगाई दर में भी गिरावट आई है और यह 3.2 प्रतिशत पर है। अगर यह धारणा जारी रहती है तो वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के 4.9 प्रतिशत के अनुमान से मामूली कम रह सकती है।’
बैंक आफ बड़ौदा में अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि गर्मियों के कारण मई में सब्जियों की कीमत बढ़ेगी, वहीं अगली फसल आने तक मोटे अनाज व दलहन की कीमतें उच्च स्तर पर बनी रहेंगी।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि बढ़ी हुई खाद्य महंगाई के साथ जिंसों के वैश्विक दाम में तेजी की वजह से खुदरा महंगाई बढ़ने का जोखिम है। खासकर औद्योगिक धातुओं की कीमत पिछले 3 महीने में 20 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। प्रमुख महंगाई में खाद्य और ईंधन शामिल नहीं होते हैं, जो 3 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है। परिधान एवं फुटवीयर (2.85 प्रतिशत), हाउसिंग (2.68 प्रतिशत), शिक्षा (4.2 प्रतिशत), स्वास्थ्य (4.3 प्रतिशत) और ट्रांसपोर्ट (1.09 प्रतिशत) की कीमतों में कमी आई है।
अप्रैल में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने एक स्वर में नीतिगत दर 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया था। ऐसा लगातार सातवें महीने किया गया और समावेशन की वापसी का रुख बना रहा। समिति ने चालू वित्त वर्ष की महंगाई दर के अनुमान में कोई बदलाव न करते हुए इसे 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने अपने बयान में कहा है कि खाद्य कीमत को लेकर अनिश्चितता का असर महंगाई दर के अनुमान पर बना हुआ है और उम्मीद है कि रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन कीमतों का दबाव कम करेगा।