भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि महंगाई दर 6 प्रतिशत से ऊपर लंबे समय तक बरकरार रहने की कोई संभावना नहीं है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि व्यवस्था में नकदी से महंगाई पर असर पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक निजी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर गंभीर है और यह चिंता का प्रमुख विषय है।
द इंडियन एक्सप्रेस और फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर अगस्त तक हल्की पड़ चुकी थी। दूसरी तिमाही से तिमाही-दर-तिमाही आधार पर वृद्धि दर बेहतर रहेगी। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने महामारी के चलते आर्थिक वृद्धि पर अधिक जोर देने का फैसला किया। इसके साथ ही उसे 2 से 6 प्रतिशत मुद्रास्फीति के दायरे में भी चलना है जो कि सरकार ने उसके लिए तय किया है।
गवर्नर ने कहा कि वैश्विक बाजारों में तरलता की स्थिति काफी सुगम है। इस वजह से घरेलू बाजारों में तेजी आ रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि संपत्ति की ऊंची कीमतें मुद्रास्फीति की स्थिति को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नरम रुख को जारी रखने या नहीं रखने पर निर्णय मौद्रिक नीति समिति करेगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ज्यादा महंगाई दर का दायरा व्यापक होने की संभावना नहीं है।
दास ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली की गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) अब ऐसे स्तर पर आ गई है कि इनका प्रबंधन किया जा सकता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी बफर है। जून तिमाही के अंत तक बैंकिंग प्रणाली का एनपीए अनुपात 7.5 प्रतिशत था। दिवाला समाधान प्रक्रिया में ऋणदाताओं को भारी नुकसान के सवाल पर दास ने कहा कि आईबीसी के कामकाज में सुधार की गुंजाइश है। इनमें विधायी बदलाव के अलावा दिवाला अदालतों में किसी मामले में लगने वाला समय शामिल है।
गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर अपनी चिंताओं से सरकार को अवगत करा दिया है। अब सरकार को इस पर गौर करना है। उन्होंने कहा कि निजी क्रिप्टो करेंसी का आगे चलकर भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान होगा इस पर हमें विश्वसनीय जवाब की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान है।