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महंगाई बढ़ती गई, ज्यों-ज्यों…

Last Updated- December 07, 2022 | 12:03 AM IST

सरकार महंगाई रोकने के हरसंभव उपाय अपना रही है, लेकिन महंगाई की आग है कि थमने के बजाए और भड़कती जा रही है।


खाद्य पदार्थ और ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी ने मुद्रास्फीति की दर 3 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान बढ़कर चार साल के उच्चतम स्तर 7.83 फीसदी पर पहुंच गई।

इसके पिछले सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर 7.61 फीसदी दर्ज हुई थी, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 5.74 फीसदी थी। दुखद यह कि पिछले आठ हफ्तों से महंगाई दर सात फीसदी के ऊपर रही है। सप्ताह-दर-सप्ताह बढ़ रही महंगाई दर ने सरकार के साथ-साथ आमलोगों को भी परेशान कर रखा है।

इस हफ्ते महंगाई की आग में घी का काम किया कॉफी, मक्का, फल-सब्जियां, आटा, नारियल तेल और मसाले की कीमतों ने। हालांकि सरकार की ओर से उठाए गए सख्त कदम का कुछ असर भी दिखा और सीमेंट, लौह-इस्पात, दाल और खाद्य तेल की कीमतों में कुछ नरमी देखी गई। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल आने से आम लोगों के बजट पर असर पड़ रहा है।

उधर, महंगाई दर की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को 8 मार्च को समाप्त सप्ताह के मुद्रास्फीति के आंकड़े को संशोधित किया, जो 5.92 फीसदी के अनुमानित आंकडे क़े मुकाबले बहुत ज्यादा 7.78 फीसदी दर्ज हुआ।

विशेषज्ञों का कहना है कि अब सरकार के समक्ष यह चुनौती होगी कि घटती विकास दर पर ध्यान दिया जाए या बढ़ती कीमत को नियंत्रित किया जाए। क्रिसिल के प्रमुख अर्थशास्त्री डी.के. दोषी ने कहा कि आने वाले सप्ताह में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी आएगी, क्योंकि रुपये के अवमूल्यन और कच्चे तेल की ऊंची कीमत का दबाव बना हुआ है।

बहरहाल, मुद्रास्फीति के 44 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के साथ वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इस्पात और सीमेंट विनिर्माताओं को चेतावनी दी कि यदि उनके द्वारा की गई मूल्यों में कटौती की घोषणा कीमतों को नियंत्रित करने के मामले में पर्याप्त साबित नहीं हुई तो प्रशासनिक कदम उठाए जाएंगे।

जहां तक ईंधन, बिजली, लाईट और ल्युब्रिकेंट श्रेणी की बात है तो वित्त मंत्री ने कहा ” जब तक  कच्चा तेल सस्ता नहीं होता मुझे डर है कि इस श्रेणी में हम उच्च मुद्रास्फीति के दायरे में अटके रहेंगे। ”

दुविधा में सरकार

लगातार बढ़ रही महंगाई को काबू में करे या फिर घटती विकास दर को बढ़ाने पर ध्यान दे

क्या हैं महंगाई बढ़ने के प्रमुख कारण

कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगी आग
रुपये का अवमूल्यन-अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्यान्न संकट


सरकारी गलियारे में चिंता गहराई

हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। जल्द ही जरूरी वस्तुओं के दाम सामान्य हो जाएंगे। – मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री

कीमत पर अंकुश के बजाए सरकार को आपूर्ति में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। – यशवंत सिन्हा, पूर्व वित्त मंत्री

जब तक  कच्चा तेल सस्ता नहीं होता मुझे डर है कि हम उच्च मुद्रास्फीति के दायरे में अटके रहेंगे। – पी. चिदंबरम, वित्त मंत्री

किस सरकार में कितनी महंगाई


1991-92 – प्रधानमंत्री – पी.वी. नरसिंहराव, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह – 13.7
1994-95 – प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह – 12.5
1992-93 –  प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह – 10.1
जनवरी 2001 – प्रधानमंत्री ए.बी. वाजपेयी, वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा – 8.8
1993-94 – प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह – 8.4
1995-96 – प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह – 8.1
1996-97  – प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम – 4.6
1997-98 – प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम – 4.4
2002-03 – प्रधानमंत्री ए.बी. वाजपेयी, वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा – 3.1

First Published - May 17, 2008 | 2:11 AM IST

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