एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट जैसे वैश्विक सूचकांकों में भारत के भारांश को बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। सूचकांक प्रदाता एमएससीआई ने कहा है कि वह कई भारतीय कंपनियों के शेयरों के लिए कथित विदेशी समावेशन कारक (एफआईएफ) को 1 दिसंबर से बढ़ाने जा रही है। इस बारे में अगले महीने होने वाली छमाही समीक्षा के दौरान निर्णय लिया जाएगा।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों का कहना है कि एमएससीआई के निर्णय से देश में करीब 3.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आएगा। मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों को लगता है कि इससे करीब 2.5 अरब डॉलर का निवेश होगा। अमेरिका की ब्रोकरेज फर्मों को उम्मीद है कि एमएससीआई ईएम में भारत का भारांश 8.1 फीसदी से बढ़कर 8.8 फीसदी हो सकता है। सूचकांक में कोटक महिंद्रा बैंक जैसे नए शेयर शामिल किए जा सकते हैं क्योंकि विदेशी निवेशकों के लिए इसमें निवेश की सीमा बढ़ी है।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों शीला राठी और रिधम देसाई ने कहा, ‘सेटेरस पारिबा, एमएससीआई ईएम में एमएससीआई इंडिया का भारांश मौजूदा 8.1 फीसदी से बढ़कर 8.7 फीसदी और 8.8 फीसदी होगा। और इसके परिणामस्वरूप क्रमश: 1.93 अरब डॉलर और 60 करोड़ डॉलर का निवेश होगा।’ उन्हें उम्मीद है कि सूचकांक में कोटक महिंद्रा बैंक का भारांश 1.6 फीसदी हो सकता है। इस खबर से कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर में आज 12.12 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। एशियन पेंट्स और बजाज फाइनैंस के शेयरों में भी 5-5 फीसदी की तेजी आई।
1 अप्रैल, 2020 से सरकार ने क्षेत्रवार सीमा को विदेशी पोर्टफोलियो निवेश सीमा मानते हुए स्वत: तरीके से भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेशकों के लिए सीमा हटा दी है। इसी को देखते हुए एमएससीआई ने भारांश बढ़ाने का निर्णयकिया है। कई कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) की निवेश सीमा मंजूर सीमा से काफी कम है।
एमएससीआई को इस नियम के तहत मार्च में ही भारतीय कंपनियों के लिए विदेशी निवेश कारक बढ़ाने का कदम उठाना था। लेकिन स्पष्टता और पारदर्शिता की कमी का हवाला देकर सूचकांक प्रदाताओं ने मार्च और जुलाई में विदेशी निवेश फैक्टर बढ़ाने के निर्णय को टाल दिया था। यह देखकर भारतीय अधिकारियों और डिपॉजिटरी फर्मों नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (सीडीएसएल) ने इस चिंता को दूर करने के कदम उठाए।
कई जानकार मानते हैं कि एक अन्य प्रमुख वैश्विक सूचकांक प्रदाता एफटीएसई रसेल भी अपने सूचकांक में भारत का भारांश बढ़ा सकती है। एक विश्लेषक ने कहा, ‘अमेरिका में चुनाव और दुनिया भर में कोविड के मामले को देखते हुए विदेशी निवेशक जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन एमएससीआई के इस कदम से निकट अवधि में भारतीय बाजार से संभावित निकासी के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।’
