भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज यानी गुरुवार को आपना मासिक बुलेटिन जारी कर दिया है। RBI ने अपने बुलेटिन में कहा कि भारत को मौजूदा ग्रोथ रेट को बनाए रखने और व्यापक आर्थिक स्थिरता के माहौल में अगले वित्तीय वर्ष में कम से कम 7 फीसदी की रियल GDP ग्रोथ हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
RBI ने ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ (State of the Economy) टाइटल वाले एक लेख में कहा कि विविश्व अर्थव्यवस्था को लेकर निकट भविष्य में वृद्धि के मामले में संभावनाएं अलग-अलग हैं और एशिया के नेतृत्व में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं बाकी दुनिया से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। इसमें कहा गया है, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2023-24 में उम्मीद से अधिक मजबूत रहने का अनुमान है। यह वृद्धि उपभोग से निवेश की ओर बदलाव पर आधारित है।’
इस महीने की शुरुआत में, भारत के सांख्यिकी कार्यालय (statistics office ) ने मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्तीय वर्ष के लिए 7.3 फीसदी की वार्षिक वृद्धि का अनुमान लगाया था, जो प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है।
RBI का अनुमान है कि वित्त वर्ष 25 में भारत की अर्थव्यवस्था 7 फीसदी की रेट से बढ़ेगी, लेकिन 8 फरवरी को मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) बैठक के दौरान इसे बढ़ाया जा सकता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘जैसा कि अनुमान लगाया गया है, महंगाई दर को वर्ष की दूसरी तिमाही (Q2) तक लक्ष्य के अनुरूप होने और इसे स्थिर करने की आवश्यकता है।’
इसने फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशन्स को अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने और अपनी एसेट क्वालिटी में सुधार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि राजकोषीय (fiscal) और एक्सटर्नल बैलेंस शीट के चल रहे क्सोलिडेशन को जारी रखने की जरूरत है।
RBI ने कहा, ‘जो ट्रांसफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजिकल चेंज चल रहा है, उसके फायदों का उपयोग एक अच्छे जोखिम-मुक्त माहौल में समावेशी और सहभागी विकास के लिए किया जाना चाहिए।
RBI बुलेटिन में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अगर भू-राजनीतिक संघर्षों को खत्म कर दिया जाए और उनके प्रभावों को कमोडिटी और फाइनैंशियल मार्केट, ट्रेड और ट्रांसपोर्टेशन और सप्लाई नेटवर्क के माध्यम से नियंत्रित किया जाए तो निराशाजनक ग्लोबल ऑउटलुक को पॉजिटिव बनाया जा सकता है।
बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि महंगाई दर को खत्म किया जाना चाहिए जिससे ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए फाइनैंशियल जरूरतों को पूरा किया जा सके।
महंगाई दर पर खाद्य कीमतों के प्रभाव पर एक अलग लेख में RBI ने कहा कि खाद्य कीमतों में बड़े और लगातार बदलाव हेडलाइन मुद्रास्फीति (headline inflation ) को स्थायी रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
RBI ने लाल सागर व्यापार मार्ग में कमर्शियल जहाजों पर हाल के हमलों के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन पर दबाव को भी दर्ज किया। बता दें कि लाल सागर संकट के कारणसाउथ अफ्रीका में केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope ) के माध्यम से रीरूट की जरूरत पड़ी।
RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्र की अगुवाई वाली टीम द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है कि सरकार ने बढ़-चढ़कर पूंजीगत खर्च किया है, उसका असर दिखने लगा है। इससे निजी निवेश बढ़ना शुरू हुआ है। देश में संभावित उत्पादन में तेजी आ रही है। वास्तविक उत्पादन इससे अधिक है। हालांकि, अंतर बना हुआ है लेकिन वह कम है।
RBI बुलेटिन में छपे लेख के अनुसार, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण, सरकारी पूंजीगत व्यय (government capex) से निवेश के लिए जो सकारात्मक माहौल बना है, उसमें कंपनियों की भागीदारी और यहां तक की इस मामले में उनकी अगुवाई जरूरी है। साथ ही पूरक के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भी होना चाहिए।’