चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के 8 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान के आसपास रह सकती है। इसके पहले के वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 13.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में विभिन्न विश्लेषकों ने कहा कि वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7 से 8.5 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है।
वित्तीय सेवा समूह नोमुरा ने इस तिमाही में सबसे कम 7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। नोमुरा ने अपने एक लिखित नोट में कहा है कि उसके अनंतिम अनुमान के मुताबिक पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि आधार के असर के कारण 8 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो रिजर्व बैंक के अनुमान के निकट है, लेकिन उसके 7 प्रतिशत अनुमान से ज्यादा है।
बार्कलेज में उभरते बाजार एशिया (चीन को छोड़कर) के प्रमुख और प्रबंध निदेशक राहुल बाजोरिया ने कहा कि अगर स्थितियां यथावत रहती हैं तो 7.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि तेज पूंजीगत व्यय, निर्माण गतिविधियों और इनपुट लागत कम होने से सुधरते मुनाफे के कारण वृद्धि को समर्थन मिलेगा।’ अन्य सभी ने उम्मीद जताई है कि आर्थिक वृद्धि दर 8 प्रतिशत या इससे अधिक रहेगी।
विभिन्न आंकड़ों में पहली तिमाही के दौरान जीडीपी और सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय परिणाम, कृषि उत्पादन और संबंधित क्षेत्र के लक्ष्य, केंद्र व राज्य सरकारों के लेखा जोखा के साथ सेक्टर के आंकड़ों के आधार पर है।
व्यापक आंकड़ों में आईआईपी वृद्धि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही है। पिछले साल की चौथी तिमाही के बराबर ही थी, लेकिन पिछले साल के पहले वित्त वर्ष के 12.9 प्रतिशत की तुलना में कम है।
आईआईपी से लिया गया आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों में तिमाही औद्योगिक आंकड़ों का लगभग एक चौथाई है। शेष आंकड़े सूचीबद्ध कंपनियों के नतीजों से लिए गए हैं। उद्योग की हिस्सेदारी जीवीए की करीब एक तिहाई है और वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही के स्तिर मूल्य पर जीडीपी की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
उल्लेखनीय है कि आईआईपी मात्रा पर आधारित सूचकांक है, जबकि जीडीपी के आंकड़ों में औद्योगिक आंकड़े मूल्यवर्धन हैं। इसके पहले आईआईपी वृद्धि के आंकड़े और जीडीपी के आंकड़ों में औद्योगिक वृद्धि करीब होते थे।
वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) प्रमुख खाद्यान्न चावल और गेहूं का उत्पादन क्रमशः 1335 लाख टन और 1127 लाख टन रहा है, जो रिकॉर्ड है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में केंद्र का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) 59.07 प्रतिशत बढ़कर 2.28 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो एक साल पहले 1.75 लाख करोड़ रुपये था।
10 बड़े राज्यों आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में 66.22 प्रतिशत बढ़कर 64,795 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले साल की समान तिमाही में 3.2 प्रतिशत घटकर 38,981.29 करोड़ रुपये रहा था।
विदेश में अर्थव्यवस्था सुस्त रहने के बावजूद वाणिज्यिक व सेवा क्षेत्र में घाटा वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में 22.59 अरब डॉलर रहा है, जो इसके पहले साल की समान अवधि में 31.49 अरब डॉलर था।
यह औसत मासिक विनिमय दर 82.14 पर 1.85 लाख करोड़ रुपये जबकि 77.16 पर 2.43 लाख करोड़ रुपये होता है। इसका मतलब यह है कि वाणिज्यिक और सेवा के कारोबार में इस समय बाहरी संतुलन पर कम नकारात्मक असर होगा।
यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया में अर्थशास्त्री तान्वी गुप्ता ने कहा कि उनकी एजेंसी का भारत का कंपोजिट इकनॉमिक इंडिकेटर अप्रैल-जून तिमाही में क्रमिक आधार पर 4.4 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसके पहले की तिमाही में 3 प्रतिशत बढ़ा था। गुप्ता ने कहा, ‘हमारा मानना है कि सुधरी आर्थिक गति और अनुकूल आधार के असर से वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 7.5 से 8 प्रतिशत रह सकती है।’
पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर रानेन बनर्जी ने कहा कि वैश्विक हिचकोले दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, जिसका बड़ा नकारात्मक असर तेल के मूल्य वृद्धि, कमजोर विनिर्माण, कमजोर निर्यात के साथ आयात पर पड़ेगा और दूसरी तिमाही और उसके बाद गतिविधियों में सुस्ती आएगी।
एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि का अनुमान 8 प्रतिशत बरकरार रखा है, जैसा कि ऊपर कहा गया है। साथ ही उसने आगामी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
क्रिसिल को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत बढ़ेगी। इसके मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा कि कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि विभिन्न संकेतक इस दिशा में इशारा कर रहे हैं। अपने अनुमान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, ‘वृद्धि का मुख्य चालक निवेश होगा।
सरकार का निवेश तेजी से बढ़ा है और कर्ज में वृद्धि भी मजबूत है। पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स तेज विस्तार दिखा रहा है और यह इस तिमाही के दौरान विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के ले क्रमशः 58 और 61 अंक रहा है।’