अर्थव्यवस्था

FY25 में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.5% पर मजबूत, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आशाजनक संकेत

सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 6.3 से 6.8 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- May 30, 2025 | 10:20 PM IST

वित्त वर्ष 2025 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत रही है। यह आंकड़ा थोड़ा कमजोर जरूर दिख रहा है लेकिन दुनिया की कई बड़ी एवं प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में फिर भी बेहतर मानी जा सकती है।

सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 6.3 से 6.8 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि दमदार निजी उपभोग, ग्रामीण क्षेत्र में मांग में तेजी और सेवाओं के निर्यात में मजबूती की इसमें अहम भूमिका होगी।

नागेश्वरन ने कहा कि पूंजी निर्माण में बढ़ोतरी, रोजगार के नए अवसर एवं वेतन-वृद्धि आदि के दम पर भारत वित्त वर्ष 2026 के अंत तक और ऊंची विकास दर हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के बजट में आयकर में राहत की घोषणा से देश में उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि नियमित अंतराल पर आने वाले आंकड़े अप्रैल में औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियां मजबूत रहने के संकेत दे रहे हैं।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘हमें यह बात जरूर समझनी होगी कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर कमजोर हो गई है। दुनिया में बढ़ती अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनाव के कारण आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर हुआ है। इन सबके बीच दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की वृद्धि दर अब भी मजबूत ही कही जा सकती है।‘

उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की चौथाई तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी दिखी और यह सिलसिला चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी जारी है। उन्होंने कहा कि नियमित अंतराल पर आने वाले आंकड़े ऐसे ही संकेत दे रहे हैं।

नागेश्वरन ने कहा, ‘आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कमी और आयकर राहत की घोषणाओं से देश में उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। निजी क्षेत्र द्वारा पूंजी सृजन से जुड़ी गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।‘

निजी क्षेत्र से निवेश पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि निजी क्षेत्र की कंपनियां पूंजीगत व्यय नहीं कर रही हैं मगर इसकी वृद्धि दर जरूर सुस्त रही है। उन्होंने कहा, ‘भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था का आकार काफी बड़ा है। इसे देखते हुए निजी क्षेत्र निश्चित तौर पर अधिक निवेश कर सकता है। मगर मौजूदा हालत में निजी क्षेत्र की कंपनियां कितना निवेश करेंगी यह देखने वाली बात होगी।‘

नागेश्वरन ने इस बात का भी खास तौर पर जिक्र किया कि बाहरी वातावरण भारत के लिए किसी तरह का जोखिम पैदा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मगर भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए अपने प्रयास तेज करने होंगे तभी वह वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था में अपने पैर मजबूती से टिका पाएगा और चीन के विकल्प के रूप में उभर पाएगा।

नागेश्वरन ने कहा कि कच्चे तेल के दाम कम रहने से आयात लागत कम रहने की उम्मीद है।

First Published : May 30, 2025 | 10:20 PM IST