भारत ने मुक्त व्यापार समझौते के तहत ब्रिटेन के लिए स्मार्टफोन, छोटे आकार के किफायती इलेक्ट्रिक वाहन और हाइब्रिड वाहन बाजार नहीं खोला है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आज बताया कि मुक्त व्यापार करार में इन उद्योगों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गई है। इसके साथ ही कीमती धातुओं और ऑप्टिकल फाइबर जैसे अन्य संवेदनशील औद्योगिक उत्पाद पर भारत आयात शुल्क नहीं घटाएगा।
कारों पर आयात शुल्क को 100 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जाएगा, साथ ही आयात पर 10 से 15 साल की सीमा भी तय की जाएगी। अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘कारों के मामले में ब्रिटेन को दी गई बाजार पहुंच बहुत कम है। हम अभी करीब 50 लाख कारें बेचते हैं और 5 से 6 साल में कार बाजार बढ़कर 1 करोड़ कारों का हो जाएगा। इसके अलावा पारंपरिक ईंधन वाले वाहनों के लिए ब्रिटेन के बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच से भारत के वाहन और कलपुर्जा निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है।’
अधिकारियों ने बताया कि मुक्त व्यापार करार पर बीते मंगलवार को सहमति बन गई मगर इसके लागू होने में 15 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है। दोनों पक्ष समझौते के मजमून को कानूनी रूप देने में लगे हैं जिसे पूरा होने में लगभग तीन महीने लगेंगे। इसके बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। भारत इस पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी लेगा और ब्रिटेन को अपनी संसद से इस समझौते को पारित करवाना होगा जिसमें करीब एक साल का समय लग सकता है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘मुक्त व्यापार करार से दोनों देशों में आर्थिक संबंध गहरे होंगे और व्यापार उदार होने के साथ ही शुल्क में भी रियायत मिलेगी।’
अधिकारी ने स्पष्ट किया कि भारत ने व्हिस्की और जिन के आयात शुल्क को 150 फीसदी से घटाकर 75 फीसदी कर दिया है, जिसे एक दशक में कम करके 40 फीसदी किया जाएगा। हालांकि कोई कोटा या न्यूनतम आयात मूल्य नहीं लगाया जाएगा।