अर्थव्यवस्था

मध्य पूर्व संकट से भारत को फिलहाल नुकसान नहीं, लेकिन तनाव बढ़ा तो बासमती, उर्वरक उद्योग पर पड़ेगा असर: Crisil

मध्य पूर्व संकट से भारत पर फिलहाल कम असर, लेकिन लंबे तनाव से बासमती चावल, हीरा, उर्वरक और तेल आधारित उद्योगों पर दबाव बढ़ सकता है।

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ऋषभ राज   
Last Updated- June 20, 2025 | 6:51 PM IST

Israel-Iran Conflict: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि मध्य पूर्व में चल रहे तनाव के चलते अभी तक भारत के कारोबार पर बहुत कम असर पड़ा है। हालांकि, साथ ही क्रिसिल ने चेतावनी भी दी है कि अगर स्थिति बिगड़ती है, तो बासमती चावल, उर्वरक और पॉलिश्ड हीरे जैसे सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है। क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का ईरान और इजरायल के साथ सीधा व्यापार पिछले वित्त वर्ष में कुल व्यापार का 1% से भी कम था, लेकिन कुछ खास वस्तुओं में रुकावट से बड़ा नुकसान हो सकता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि बासमती चावल के निर्यात का करीब 14% हिस्सा ईरान और इजरायल को जाता है। चूंकि बासमती चावल एक जरूरी खाद्य पदार्थ है, इसकी मांग बनी रहती है, लेकिन अगर संकट लंबा खींचता है, तो निर्यातकों को भुगतान में देरी और वर्किंग कैपिटल की तंगी का सामना करना पड़ सकता है।

वहीं, हीरा कारोबार में इजरायल एक व्यापारिक केंद्र की भूमिका निभाता है। भारत के पॉलिश्ड हीरे के निर्यात का 4% और रफ हीरे के आयात का 2% हिस्सा इजरायल से जुड़ा है। क्रिसिल का मानना है कि बेल्जियम और संयुक्त अरब अमीरात जैसे वैकल्पिक रास्तों से नुकसान को कम किया जा सकता है, क्योंकि अंतिम खरीदार ज्यादातर अमेरिका और यूरोप में हैं।

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तेल की कीमतों में उछाल से बढ़ सकती है मुश्किल

अगर तनाव आगे और अधिक समय तक चलता रहे तो उर्वरक क्षेत्र इससे प्रभावित हो सकता है। इसमें खासतौर पर म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MoP) को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचने की संभावना है। पिछले साल भारत के MoP आयात का 7% हिस्सा इजरायल से आया था। हालांकि, MoP का उपयोग भारत के कुल उर्वरक खपत का 10% से कम है और विविध स्रोतों की उपलब्धता से जोखिम कम है।

इसके अलावा, अगर तनाव बढ़ता है, तो वैश्विक तेल की कीमतों में तेजी आ सकती है। हाल ही में तेल की कीमत 73 से 76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है, जो अप्रैल-मई में 65 डॉलर थी। यह पिछले साल के 78 डॉलर के औसत से कम है, लेकिन कीमतों में और उछाल से कई उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।

विमानन, पेंट, रसायन, टायर और सिंथेटिक कपड़ा जैसे क्षेत्र, जहां कच्चे तेल का बड़ा योगदान है, पर मार्जिन का दबाव बढ़ सकता है। क्रिसिल ने कहा कि तेल रिफाइनरी, पेंट और विशेष रसायन जैसे क्षेत्रों में लागत वृद्धि को ग्राहकों तक पहुंचाना मुश्किल हो सकता है, खासकर कीमत-संवेदनशील बाजारों में। विमानन क्षेत्र पहले ही हवाई क्षेत्र बंद होने से लंबे रास्तों और बढ़ती ईंधन कीमतों से जूझ रहा है। टायर उद्योग, जहां लागत का 50% हिस्सा तेल से जुड़ा है, को भी अस्थायी नुकसान हो सकता है।

क्रिसिल ने कहा कि भारतीय कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट और कम पूंजीगत खर्च की वजह से अभी स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन अगर संकट लंबा चला, तो माल ढुलाई लागत, बीमा प्रीमियम और तेल कीमतों में वृद्धि से मुनाफा और व्यापार प्रभावित हो सकता है। एजेंसी ने कहा कि वह स्थिति पर नजर रखेगी और तनाव बढ़ने पर प्रभावित क्षेत्रों के लिए क्रेडिट जोखिम का आकलन करेगी।

First Published : June 20, 2025 | 6:42 PM IST