ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने जून 2024 में जारी अपने कैफे (सीएएफई) मसौदा नियमों में आज संशोधन किए हैं। बीईई ने कैफे नियमों के तहत पहली बार छोटी कारों को विशेष राहत दी है। इसके साथ ही फ्लेक्स-फ्यूल एवं स्ट्रांग हाइब्रिड वाहनों के लिए भी प्रोत्साहनों की पेशकश की गई है। मसौदे में संशोधन वाहन उद्योग के भीतर तीखी बहस के बाद हुए हैं। मारुति सुजूकी ने कैफे-3 और कैफे-4 मानदंडों के तहत छोटी कारों के लिए विशेष राहत का अनुरोध किया था जबकि टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा सहित अन्य कार विनिर्माताओं ने इस तरह की किसी भी रियायत पर कड़ा विरोध जताया था।
बीईई ने जून 2024 में कैफे-3 और कैफे-4 मानदंडों का मसौदा जारी किया था। कैफे-3 को अप्रैल 2027 में और कैफे-4 मार्च 2037 से लागू किया जाएगा। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम ने दिसंबर 2024 में बदलाव का सुझाव दिया था। इस साल की शुरुआत में मारुति ने छोटी कारों को राहत के लिए अनुरोध किया था जिसके बाद बीईई ने संशोधित मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं।
कैफे (कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी) दिशानिर्देश औसत कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन या ईंधन दक्षता लक्ष्य तय करते हैं जिन्हें कार विनिर्माता कंपनी को अपने बेड़े में शामिल सभी वाहनों के लिए पालन करना होता है। इसे प्रत्येक वाहन के लिए किलोमीटर प्रति ग्राम उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (ग्राम प्रति किलोमीटर) में मापा जाता है।
संशोधित मसौदे के तहत कैफे दिशानिर्देशों में पहली बार छोटी कारें अलग से वर्गीकृत की गई हैं। 909 किलोग्राम से कम और 1,200 सीसी या उससे कम इंजन क्षमता के साथ ही 4,000 मिलीमीटर तक की कारें छोटी कार मानी जाती है। छोटी कारें बनाने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी को संशोधित दिशानिर्देशों से सबसे अधिक लाभ हो सकता है।
इन छोटी कारों को विशेष रियायत मिल सकती है। प्रमाणित तकनीकों के माध्यम से हासिल की गई कार्बन डाइऑक्साइड बचत के अलावा वे अपने घोषित उत्सर्जन से अतिरिक्त 3 ग्राम प्रति किलोमीटर घटा सकती हैं।
नए मसौदे में कहा गया है, ‘909 किलोग्राम तक वजन, 1200 सीसी से कम इंजन क्षमता और 4000 मिलीमीटर से कम लंबाई वाले पेट्रोल वाहन मॉडल में दक्षता सुधार की सीमित क्षमता को ध्यान में रखते हुए प्रमाणित तकनीक-आधारित बचत के अलावा कैफे 2027 के तहत प्रदर्शन की गणना के लिए अपने निर्माता द्वारा घोषित कार्बन उत्सर्जन प्रदर्शन में 3.0 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड प्रति किलोमीटर की और कमी का दावा कर पाएंगी।’