आईपीओ

सितंबर में आईपीओ बाजार गुलजार, 1997 के बाद सबसे ज्यादा निर्गम

जनवरी 1997 के बाद से किसी भी महीने में आईपीओ निर्गम की यह सबसे अ​धिक संख्या है। इस महीने एसएमई सेगमेंट में भी 56 आईपीओ आए हैं।

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समी मोडक   
Last Updated- September 25, 2025 | 10:43 PM IST

सितंबर में आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार काफी गुलजार रहा है। इस महीने मुख्य बोर्ड और एसएमई प्लेटफॉर्म दोनों पर करीब तीन दशक में सबसे ज्यादा आईपीओ आए हैं। सितंबर अंत तक यानी अगले सप्ताह आने वाले चार निर्गम को जोड़ दें तो कुल 25 आईपीओ मुख्य बोर्ड में हो जाएंगे। जनवरी 1997 के बाद से किसी भी महीने में आईपीओ निर्गम की यह सबसे अ​धिक संख्या है।

इस महीने एसएमई सेगमेंट में भी 56 आईपीओ आए हैं। वर्ष 2012 में छोटे व्यवसायों को शेयर बाजार में प्रवेश करने में मदद करने के लिए शुरू किए गए इस प्लेटफॉर्म की यह अब तक सबसे अधिक आईपीओ संख्या है। अधिकांश गतिविधियां स्मॉलकैप सेगमेंट में हुई हैं। मेनबोर्ड के निर्गम का औसत आकार लगभग 530 करोड़ रुपये है।

बाजार के भागीदारों ने आईपीओ की इस बाढ़ का कारण दबी हुई मांग से लेकर नियामकीय समय सीमा तक को बताया है। पैंटोमैथ फाइनैंशियल सर्विसेज ग्रुप के संस्थापक महावीर लूनावत ने कहा, ‘मार्च से मई के बीच प्राथमिक बाजार में सुस्ती थी मगर उसके बाद निर्गम की कतार लग गई। कंपनियां 30 सितंबर की समय सीमा से पहले पूंजी जुटाने के अ​भियान को पूरा करना चाहती हैं ताकि उसे वित्तीय विवरण में शामिल किया जा सके। इसके अलावा साल की दूसरी छमाही के लिए खर्च करने की योजना बनाने की जरूरत ने कई कंपनियों को अपनी सूचीबद्धता योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।’

प्राइम डेटाबेस समूह के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया भी इससे सहमत नजर आते हैं। उन्होंने आईपीओ बाजार में रिकॉर्ड गतिविधि के पीछे घरेलू नकदी प्रवाह, मजबूत लिवाली रुझान और सूचीबद्धता के बाद निर्गमों के अच्छे प्रदर्शन को प्रमुख कारण बताया है।

विश्लेषकों के अनुसार आईपीओ बाजार में आगे भी यह तेजी बनी रह सकती है। फिलहाल 70 कंपनियां हैं, जिनकी योजना 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाने की है। इन कंपनियों को आईपीओ के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा 90 अन्य कंपनियां अनुमानित 1.6 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं।

प्राइमरी बाजार से पूंजी जुटाने में यह तेजी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली, कमजोर होते रुपये, एच-1बी वीजा तथा व्यापार शुल्क पर अमेरिकी निर्णय के कारण सेकंडरी बाजार में उथलपुथल के बीच आई है।

मैक्वेरी के प्रबंध निदेशक और वित्तीय सेवा अनुसंधान के प्रमुख सुरेश गणपति ने कहा कि प्राइमरी बाजार खुदरा निवेश के दम पर फलफूल रहा है लेकिन विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के कारण सेकंडरी बाजार पर दबाव बना हुआ है। निवेशकों का रुझान आईपीओ की ओर इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि पिछले एक साल में व्यापक सूचकांक में ज्यादा रिटर्न नहीं मिला है।

एक साल में निफ्टी 50 में 4.3 फीसदी की गिरावट आई है जबकि निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप सूचकांक अपने शिखर से लगभग 8 फीसदी नीचे हैं।

2024 में कंपनियों ने आईपीओ के माध्यम से रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे। इस कीर्तिमान को पार करने के लिए इस साल के शेष तीन महीनों में 74,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने की आवश्यकता होगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि अंतिम आंकड़े पिछले साल के करीब आ सकते है, बशर्ते कुछ बड़े आकार के निर्गम आएं। टाटा कैपिटल, ग्रो और एलजी सहित कई अरब डॉलर के आईपीओ अगले महीने आ सकते हैं।

First Published : September 25, 2025 | 10:39 PM IST