भारत सरकार ने देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने का बड़ा फैसला लिया है। अब करीब 250 बड़े-छोटे बंदरगाहों की सुरक्षा की कमान केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल यानी CISF को सौंप दी गई है। शुक्रवार को अधिकारियों ने बताया कि बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने 18 नवंबर को आदेश जारी करके CISF को इन बंदरगाहों का नया सुरक्षा नियामक बना दिया है।
CISF अब अंतरराष्ट्रीय जहाज और बंदरगाह सुविधा सुरक्षा कोड (ISPS कोड) के तहत मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन (RSO) की भूमिका निभाएगा। आसान भाषा में कहें तो बंदरगाहों की सुरक्षा का पूरा ठेका अब CISF के पास है।
CISF के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल अजय दहिया ने इसे बंदरगाह सुरक्षा में क्रांतिकारी कदम बताया। उनका कहना है कि बंदरगाह व्यापार, लॉजिस्टिक्स और ब्लू इकॉनॉमी के लिए रीढ़ की हड्डी हैं, इसलिए इनकी सुरक्षा को एकसमान और आधुनिक बनाना जरूरी था।
गृह मंत्रालय के 2023 के अपडेटेड दिशानिर्देशों के मुताबिक, अगले छह महीनों में यह नया सिस्टम पूरी तरह लागू हो जाएगा। CISF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह उनके लिए चुनौती भरा लेकिन गर्व की बात है क्योंकि अब उन्हें नई ताकत और तकनीकी विशेषज्ञता हासिल करनी होगी।
1971 से ही CISF कुछ बंदरगाहों की सुरक्षा कर रहा है। अभी चेन्नई पोर्ट, मुंबई का JNPT, कोचीन पोर्ट जैसे 13 बड़े बंदरगाहों पर करीब 5300 जवान तैनात हैं। लेकिन अब दायरा बहुत बढ़ने वाला है।
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अब बंदरगाह सुरक्षा के हर मामले में CISF ही नोडल अथॉरिटी होगी। तीन मुख्य काम होंगे:
हाल ही में CISF ने प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स, कार्गो ऑपरेटर्स और दूसरे स्टाफ के लिए दो ट्रेनिंग प्रोग्राम भी करवाए हैं।
अब तक यह काम इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के पास था जो डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ शिपिंग के अधीन काम करता था। लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई कई उच्चस्तरीय बैठकों में देश के 254 बंदरगाहों में सुरक्षा के बड़े-बड़े गैप सामने आए। उसके बाद फैसला हुआ कि एक प्रोफेशनल और सरकारी RSO होना चाहिए। यही वजह है कि CISF को यह जिम्मेदारी दी गई।
देश में ज्यादातर बंदरगाह तो हैं, लेकिन सक्रिय रूप से कार्गो हैंडलिंग सिर्फ 65-68 बंदरगाह ही करते हैं। अब बड़े एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बंदरगाहों पर आतंकवाद और तोड़फोड़ रोकने जैसे कोर काम सिर्फ CISF करेगी। ट्रैफिक कंट्रोल, गेट मैनेजमेंट जैसे छोटे-मोटे काम प्राइवेट एजेंसियां या राज्य पुलिस देखेंगी।
अगले कुछ सालों में करीब 80 बड़े बंदरगाहों को पूरी तरह सुरक्षित करने के लिए CISF को तकरीबन 80 हजार अतिरिक्त जवान चाहिए होंगे। हर बड़े बंदरगाह पर औसतन 1000 जवान तैनात करने का प्लान है। इसके लिए नई तकनीक और हाइब्रिड सिक्योरिटी मॉडल लाया जा रहा है। अलग से बंदरगाह सुरक्षा कर्मियों के लिए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी बनाए जाएंगे।
इस बड़े बदलाव से देश के बंदरगाह न सिर्फ सुरक्षित होंगे बल्कि तेज और आधुनिक भी बनेंगे, जो भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और समुद्री महत्वाकांक्षाओं को नई ताकत देंगे।
(PTI के इनपुट के साथ)