अर्थव्यवस्था

2047 तक विकसित भारत की राह में सांख्यिकी मंत्रालय बनेगा डेटा आधारित नीति निर्माण की रीढ़: राव इंद्रजित सिंह

2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य में सांख्यिकी मंत्रालय आधुनिक तकनीक और सर्वेक्षण सुधारों के जरिए डेटा आधारित नीतियों को सटीक और प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- June 20, 2025 | 9:48 PM IST

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजित सिंह मानते हैं कि 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिहाज से आंकड़ों पर आधारित फैसले लेने में भारतीय सांख्यिकी प्रणाली सरकार की बहुत मदद करेगी। शिवा राजौरा से ईमेल पर बातचीत में उन्होंने मंत्रालय के कामकाज की जानकारी भी दी। मुख्य अंशः

सांख्यिकी मंत्रालय आंकड़े इकट्ठे करने, उन पर काम करने और उन्हें जारी करने में प्रौद्योगिकी का पूरा लाभ ले रहा है। आंकड़ों के वैकल्पिक स्रोतों पर भी इसका ध्यान है। इन बदलावों से मंत्रालय की सूरत कैसे बदल रही है? आंकड़े इस्तेमाल करने वालों को इनका फायदा कैसे मिलेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मानते हैं कि हमें प्रौद्योगिकी का जानकार बनना चाहिए ताकि हर नीति और योजना को प्रौद्योगिकी के जरिये अधिक कारगर तथा सुलभ बनाया जा सके। हमें आंकड़ों के आधार पर फैसले लेने में माहिर होना चाहिए ताकि नीतियां ज्यादा सटीक तरीके से बनाई एवं लागू की जा सकें। मंत्रालय अपने सांख्यिकीय उत्पाद तैयार करने में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नई प्रौद्योगिकी का सहारा ले रहा है और नीति निर्माताओं को समय पर आंकड़े दे रहा है ताकि सटीक नीतियों के जरिये लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ सके।

मंत्रालय अब राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षणों (एनएसएस) में कागज-कलम के बजाय टैबलेट पर आंकड़े इकट्ठे कर रहा है, जिन पर काम करना और नतीजे निकालना आसान हो जाता है। आंकड़ों के सत्यापन, गणना, टेबल बनाने आदि के लिए हमने एक सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है। असंगठित क्षेत्र के उद्यमों के सालाना सर्वेक्षण (एज-यूज) आदि में एआई चैटबॉट की मदद ली जा रही है।

2047 विकसित भारत के सरकार के एजेंडा के हिसाब से मंत्रालय का नजरिया क्या है? आप साल 2047 में सांख्यिकी मंत्रालय को कहां देखते हैं?

भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली को आधुनिक प्रौद्योगिकी, क्षमता विकास और डेटा उपयोगकर्ताओं, शिक्षाविदों, निजी क्षेत्र एवं अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकीय एजेंसियों के साथ बातचीत को शामिल किया जा रहा है। इसके बेहतरीन नतीजे मिल रहे हैं। उम्मीद है कि यह प्रणाली 2047 तक विकसित भारत की प्रधानमंत्री की महत्त्वाकांक्षी यात्रा में आंकडों पर आधारित निर्णयों में अहम भूमिका निभाएगी।

साल 2047 के एजेंडा के तहत आपने राज्य सरकारों की सांख्यिकीय प्रणाली मजबूत करने के लिए बैठक की। उसका क्या नतीजा रहा?

फिलहाल अधिकतर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस साल जनवरी से शुरू हुए एनएसएस के 80वें दौर में भाग ले रहे हैं। मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को टैबलेट खरीदने के लिए एसएसएस योजना के तहत तकनीकी जानकारी, प्रशिक्षण, नमूना सूची, सीएपीआई, क्लाउड सर्वर और वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। एनएसएस ने सर्वेक्षण के लिए एनएसएस क्षेत्र के बजाय जिले को यूनिट बना दिया है।

इस तरह राज्य और केंद्रशासित प्रदेश जिला स्तर पर अनुमान लगा पा रहे हैं। मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पीएलएफएस, एज-यूज और घरेलू पर्यटन सर्वेक्षण जैसे मंत्रालय के अन्य सर्वेक्षण में शामिल होने का आग्रह किया है। यह भी तय किया गया है कि राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय अनुमान मंत्रालय जारी करेगा और राज्य सरकारें सिर्फ जिला स्तर के अनुमानों पर ध्यान देंगी।

सीपीआई, जीडीपी और आईआईपी जैसे प्रमुख वृहद आर्थिक संकेतकों के लिए मंत्रालय आधार वर्ष बदल रहा है। इस पर कितनी प्रगति हुई?

जीडीपी, आईआईपी और सीपीआई के आधार वर्ष में बदलाव की कवायद जारी है। जीडीपी के लिए वित्त वर्ष 2022-23 को आधार वर्ष मानने वाली नई श्रृंखला अगले साल 27 फरवरी को जारी की जाएगी। आईआईपी के लिए साल 2022-23 को नया आधार वर्ष माना जा सकता है और सीपीआई के लिए यह 2024 होगा। नई सीपीआई श्रृंखला साल 2026 की पहली तिमाही में आने की उम्मीद है।

खबरें हैं कि आईआईपी आधार वर्ष श्रृंखला पर आधारित होगा। क्या जीडीपी आधार वर्ष संशोधन को भी श्रृंखला आधारित बनाने की योजना है?

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय बुनियादी बदलावों के प्रति अधिक तेज प्रतिक्रिया के लिए श्रृंखला आधारित आईआईपी की संभावना तलाश रहा है। नई आईआईपी श्रृंखला की आइटम बास्केट और फैक्टरी फ्रेम का चयन सालाना उद्योग सर्वेक्षण (एएसआई) 2022-23 के आंकड़ों का उपयोग करके किया जाएगा।

जीडीपी की बात करें तो इसे श्रृंखला पर आधारित करने के लिए सरकारी व्यय और निजी कंपनियों के सालाना आंकड़े तो हैं मगर देश के बड़े अनौपचारिक क्षेत्र के लिए आंकड़े नहीं हैं। उन आंकड़ों के अनुमान विभिन्न सर्वेक्षणों के नतीजों पर निर्भर हैं। इसलिए इन सर्वेक्षणों के बीच का फासला कम करने की कोशिश की जा रही है।

First Published : June 20, 2025 | 9:41 PM IST