अर्थव्यवस्था

बजट 2027 से पहले सीमा शुल्क में बड़ा डिजिटल बदलाव, ICEGATE–RMS–ICES होंगे एकीकृत

वर्तमान में सीमा शुल्क के तीनों तंत्र अलग-अलग सॉफ्टवेयर पर काम करते हैं और पूरी तरह से एक-दूसरे से जुड़े नहीं हैं, जिससे कागजी कार्रवाई में देरी और दोहराव होता है

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मोनिका यादव   
Last Updated- December 08, 2025 | 10:44 PM IST

वित्त वर्ष 2027 के बजट से पहले एक बड़े बदलाव के तहत वित्त मंत्रालय सीमा शुल्क से जुड़ी सभी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की योजना बना रहा है। इसके तहत भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक गेटवे (आईसीईगेट), जोखिम प्रबंधन प्रणाली (आरएमएस) और भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज सिस्टम (आईसीईएस) को एकीकृत कर राष्ट्रीय सीमा शुल्क प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा। सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।

भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक गेटवे के जरिये व्यापारी ई-फाइलिंग और सीमा शुल्क भुगतान करते हैं। इसी तरह आरएमएस जोखिम-आधारित जांच को स्वचालित करता है और आईसीईएस सीमा शुल्क स्थल पर बैकएंड मूल्यांकन और क्लीयरेंस कामकाज को संभालता है। वर्तमान में सीमा शुल्क के तीनों तंत्र अलग-अलग सॉफ्टवेयर पर काम करते हैं और पूरी तरह से एक-दूसरे से जुड़े नहीं हैं जिससे कागजी कार्रवाई में देरी और दोहराव होता है। इस कदम से कारोबारी सुगमता बढ़ने और देश की वैश्विक व्यापार रैंकिंग में सुधार होने की उम्मीद है। सरकार आगामी बजट वित्त वर्ष 2026-27 में इस परियोजना के लिए धन आवंटित कर सकती है।

सरकारी अधिकारी ने कहा कि मेगा परियोजना के लिए अ​भिरुचि पत्र जल्द ही जारी होने की उम्मीद है। छांटे गए इच्छुक पक्षों को उनकी तकनीकी और वित्तीय प्रस्ताव का मूल्यांकन करने के लिए विस्तृत आशय पत्र जारी किया जाएगा। उसके बाद काम का ठेका दिया जाएगा। इस परियोजना में प्रमुख वैश्विक और भारतीय तकनीकी कंपनियां हिस्सा ले सकती हैं। 

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि नई एकीकृत प्रणाली को 1 अप्रैल, 2027 से लागू करने का प्रस्ताव है। इसके लागू होने पर यह अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सबसे बड़ी संप्रभु आईटी बदलाव परियोजनाओं में से एक बन जाएगी। 

नई तकनीकी फर्मों से नवाचार और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार अंतिम बोलीदाता के लिए बैकएंड परिचालन में स्टार्टअप को शामिल करने की शर्त भी लगा सकती है। यह कदम औपचारिक रूप से स्टार्टअप को कोर सॉवरिन डिजिटल इन्फ्रा परियोजना में एकीकृत करेगा।

एकीकृत प्लेटफॉर्म के पूरी तरह से चालू होने पर सीमा शुल्क की प्रक्रिया में तेजी आएगी। इससे स्वचालित क्लीयरेंस में तेजी आएगी और प्रणाली स्तर की खामियों से होने वाले मुकदमों को कम करने में भी मदद मिलेगी। 

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘प्रस्तावित बदलाव के तहत मूल्यांकन, रिफंड और सामान की जांच को पूरी तरह से मानवरहित बनाने की योजना है। साथ ही विवाद समाधान पूरी तरह डिजिटल होगा।’

सुधारों का उद्देश्य औसत क्लीयरेंस का समय घटाकर 24 घंटे करना है, जो अभी करीब 2 दिन है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार एक ऐसी प्रणाली बनाने पर काम कर रही है जहां आयातकों को सीमा शुल्क कार्यालयों में उप​स्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में कहा था कि सीमा शुल्क उनका ‘अगला बड़ा सफाई अभियान’ है। सीमा शुल्क व्यवस्था में बदलाव के बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय को ईमेल भेज गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

ईवाई में पार्टनर सुरेश नायर ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का सीमा शुल्क में व्यापक बदलाव एक दशक में सबसे महत्त्वपूर्ण सुधार होगा। आरएमएस को उन्नत आईसीईएस और आईसीईगेट 2.0 प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत करने से एंड-टू-एंड प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित हो जाएगी।

इकनॉमिक लॉ प्रैक्टिस में पार्टनर विवेक बाज ने कहा कि एंट्री और शिपिंग बिल ऑनलाइन जमा किए जाते हैं जबकि रिफंड आवेदन, अंतरिम आकलन और एंट्री बिल को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया मैनुअल है। इससे आयातकों और निर्यातकों को बंदरगाहों और सीमा शुल्क कार्यालय पर जाना पड़ता है जिसमें ज्यादा समय लगता है और यह बोझिल होता है। पूरी प्रक्रिया के डिजिटल होने से कारोबार करने में आसानी होगी, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी तथा रिफंड आदि में भी तेजी आएगी।

First Published : December 8, 2025 | 10:33 PM IST