वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने बदलते भू-राजनीतिक हालात और मौजूदा आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत की निर्यात नीति को अधिक धार देने का का सुझाव दिया है। मंगलवार को पेश समिति की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को विनिर्माण क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने और निर्यात के दूसरे बाजार तलाशने पर ध्यान देना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल का सामाना करने में सक्षम है और अपने किसी अन्य क्षेत्रीय प्रतिस्पर्द्धियों के मुकाबले उच्च-आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वित्त मंत्रालय ने समिति को बताया कि कम से कम अगले एक दशक तक आदर्श रूप में प्रति वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था को सालाना 8 प्रतिशत दर से वृद्धि दर्ज करने की जरूरत है।
आर्थिक मामलों के विभाग में तत्कालीन सचिव अजय सेठ ने संसदीय समिति को बताया कि सालाना 8 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने के लिए अर्थव्यवस्था में निवेश दर मौजूदा 31 प्रतिशत से बढ़ाकर जीडीपी का 35 प्रतिशत करनी होगी।
सेठ ने कहा निवेश बढ़ाने के लिए ऊंचे चालू खाते के घाटे का जोखिम उठाना पड़ेगा जो मौजूदा चुनौतीपूर्ण वित्तीय हालात में काफी चुनौतीपूर्ण है। सेठ ने कहा, ‘इसे ध्यान में रखते हुए आर्थिक वृद्धि और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए विनियमन एक महत्त्वपूर्ण जरिया है।‘ सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा, ‘भारत के आर्थिक खाके का लक्ष्य न केवल 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने पर होना चाहिए बल्कि यह दीर्घकालिक, समावेशी और लचीली वृद्धि दर हासिल करने पर भी केंद्रित होना चाहिए।‘
वित्त मंत्रालय ने समिति को बताया कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और मौजूदा वैश्विक व्यापार परिदृश्य के मद्देनजर सरकार की रणनीति उन नीतियों पर आधारित है जो उभरती वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के प्रति संवेदनशील होने के साथ लचीली, समावेशी और टिकाऊ घरेलू विकास को बढ़ावा दे सकती हैं।
‘वैश्विक आर्थिक एवं भू-राजनीतिक परिस्थितियों के आलोक में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए खाका’ विषय पर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वर्तमान वैश्विक बाधाओं से निपटने और अपने क्षेत्रीय समकक्षों की तुलना में तेज रफ्तार से एक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए बेहतर स्थिति में है। संसदीय समिति ने उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रभावी सुधारों और विनियमन में कमी पर जोर दिया है।
समिति ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और प्रभावी शासन-व्यवस्था के लिए डेटा की महत्त्वपूर्ण भूमिका का भी जिक्र किया। समिति ने गोपनीयता संबंधी चिंताएं दूर करने, दक्षता में सुधार और डेटा की मदद से उचित एवं अनुकूल नीतियां तैयार करने के लिए एक स्वदेशी, सरकारी स्वामित्व वाले एआई सर्वर की स्थापना का सुझाव दिया। इसने ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में ‘डिजिटल रेगिस्तान’ के बारे में भी चिंता व्यक्त की और दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल ढांचे को बढ़ावा देने का सुझाव दिया।
समिति ने जोर दिया कि दीर्घकालिक उत्पादकता और नौकरी सृजन को गति देने के लिए पूंजीगत व्यय जारी रखना महत्त्वपूर्ण है। समिति ने यह भी कहा कि पूंजी निवेश का उत्पादन में भरपूर लाभ लेने के लिए सार्वजनिक निवेश से जुड़ी क्षमता सुधार करना आवश्यक है।
राज्यों में राजकोषीय अनुशासन के विषय पर समिति ने कर्ज के भारी बोझ से दबे राज्यों में विशेष राजकोषीय सुधारों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। समिति ने कहा कि इससे ऐसे राज्यों की राजकोषीय स्थिति सुधरेगी और साथ ही महत्त्वपूर्ण ढांचों एवं सामाजिक विकास में निवेश करने की उनकी क्षमता भी बरकरार रहेगी। संसदीय समिति ने बाजार नियामकों को विदेशी निवेशकों के प्रभाव और बाजार की अस्थिरता पर उनके संभावित असर को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी। समिति ने कहा, ‘ऐसे जोखिम कम करने के लिए समिति ने राजकोषीय सुदृढ़ीकरण समेकन के जरिये घरेलू आर्थिक ताकतों को प्राथमिकता देने और सेबी और आरबीआई द्वारा नियम-कायदे सहज बनाने एवं बाजार ढांचे में सुधार जारी रखने का सुझाव दिया।‘ समिति ने भारत के निवेशकों में विविधता लाने और प्रतिबद्ध एफडीआई आकर्षित करने के लिए रणनीतिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया। समिति ने उभरती चुनौतियों और जनसांख्यिकीय बदलावों से निपटने के लिए गरीबी कम करने के कार्यक्रमों की नियमित निगरानी और मूल्यांकन का सुझाव दिया।