प्रतीकात्मक तस्वीर
वित्त मंत्रालय ने आज जारी अगस्त की मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि केंद्र द्वारा लगातार सुधारों पर जोर देने से बाहरी व्यापार के झटकों से अर्थव्यवस्था को उबरने में मदद मिलेगी लेकिन शुल्क अनिश्चितताएं बनी रहती हैं तो इसका घरेलू रोजगार, आय और खपत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। समीक्षा में कहा गया, ‘वृद्धि की रफ्तार को बनाए रखने के लिए नियामकीय सुधार और बुनियादी ढांचे का विकास महत्त्वपूर्ण होगा।’
वित्त मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा पर शुल्क वृद्धि व्यापार अनिश्चितताओं के जोखिमों की याद दिलाता है। वीजा शुल्क से सेवा क्षेत्र के प्रभावित होने का जोखिम है।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा तैयार की गई मासिक समीक्षा में कहा गया है, ‘अनिश्चितताएं और जोखिम बने हुए हैं। नए बाजारों को परिपक्व होने और निर्यात वृद्धि में स्थापित बाजारों की तरह योगदान देने में समय लगेगा।’ अमेरिका ने भारत के निर्यात पर 50 फीसदी शुल्क लगाया है जिससे कपड़ा, फुटवियर और समुद्री उत्पादों जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों में जोखिम बढ़ गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा कुशल श्रमिकों के लिए नए वीजा आवेदनों पर 1 लाख डॉलर का शुल्क लगाने से भारत के 280 अरब डॉलर के आईटी सेवा उद्योग को नुकसान हो सकता है और हजारों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
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समीक्षा में भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण के माहौल में राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और महत्त्वपूर्ण प्राथमिक संसाधनों में आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि उत्पादकता में सुधार और किसान सशक्तीकरण साथ-साथ चलते हैं तो कृषि क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।
वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और बदलते व्यापार माहौल के मद्देनजर अशांत अंतरराष्ट्रीय माहौल के बावजूद भारत का अर्थिक दृष्टिकोण मोटे तौर पर आशावादी बना हुआ है।’ रिपोर्ट में राज्यों से राज्यस्तरीय विनियमन को आगे बढ़ाने और भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी वृद्धि की राह पर लाने के लिए सहकारी संघवाद का लाभ उठाने का आग्रह किया गया है।
मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘सरकार के सभी स्तरों केंद्र, राज्यों और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की गति और क्रियान्वयन में तेजी लाना पहले से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है।’
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वित्त मंत्रालय के अनुसार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें घटाने से खपत वृद्धि को और गति मिलेगी। इसमें कहा गया है कि जीएसटी के तहत दो कर स्लैब होने से उपभोक्ताओं पर कर का बोझ कम होगा, खपत को बढ़ावा मिलेगा और शुल्क प्रभावों के असर को कुछ कम करने में मदद मिलेगा। कंपनियों के लिए मांग में सुधार होने की संभावना है जिससे वे अतिरिक्त क्षमताओं में निवेश बढ़ा सकेंगे।