कोविड-19 महामारी को देखते हुए कर रिफंड तेज करने की सरकार की कवायदों के बावजूद प्रत्यक्ष कर रिफंड में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10 प्रतिशत कमी आई है। रिफंड या आयकर विभाग से नकदी का प्रवाह इस वित्त वर्ष में 18 जुलाई तक 74,000 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 82,000 करोड़ रुपये था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सिर्फ उन रिफंड को रोका गया है, जिनमें करदाता की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है और जिन मामलों को जांच के लिए रखा गया है।
सीबीडीटी के अधिकारी ने कहा, ‘जो भी दिया जाना था, हमने दे दिया है। उन मामलों में ही रिफंड नहीं हुआ है, जहां करदाताओं की ओर से जवाब अपेक्षित है। जब वे जवाब भेज देंगे, शेष रिफंड भी जारी कर दिया जाएगा। इसके अलावा कुछ मामले ऐसे भी हैं, जहां कर मांग है। आयकर कानून के प्रावधानों के मुताबिक जांच के दौरान रिफंड रोका जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि हमने ऐसा कोई रिफंड नहीं रोका है, जिन्हें नहीं रोका जाना चाहिए। कुछ कर अधिकारियों ने कहा कि कर रिफंड में गिरावट की एक वजह लॉकडाउन के कारण कर्मचारियों की संख्या कम होना है, जिससे ऐसे बड़े रिफंड में देरी हो रही है, जिनमें अधिकारियों की मंजूरी की जरूरत होती है।
इस राशि में अन्य वर्षों की बकाया मांग का समायोजन भी शामिल है। अधिकारी ने कहा, ‘जिन मामलों में करदाता से पिछले वर्षों की कर मांग लंबित रहती है, रिफंड प्रक्रिया चलती है, लेकिन पिछली मांग में उसका समायोजन कर दिया जाता है, जिसे करदाता अपीली अधिकारियों के समक्ष चुनौती दे सकता है। इस तरह से उन मामलों में तकनीकी रूप से रिफंड जारी कर दिया जाता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से सरकार की ओर से धन नहीं जाता है।’
करीब 35,000 करोड़ रुपये का कर रिफंड अटका हुआ है, जिसे जांच में डाला गया है। जब तक इनकी जांच चलेगी, रिफंड अटका रहेगा। दो तिहाई रिफंड कंपनियों के और एक तिहाई रिफंड व्यक्तिगत करदाताओं के होते हैं। पिछले सप्ताह आयकर विभाग की ओर से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक 19.79 लाख मामलों में 24,603 करोड़ रुपये रिफंड करदाताओं को जारी किया गया है और वहीं कंपनियों के 1.45 लाख मामलों में इस अवधि के दौरान 46,626 करोड़ रुपये रिफंड दिया गया है।
7 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक रिफंड के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह में 23.4 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 1.83 लाख करोड़ रुपये था। कर विशेषत्रों ने कहा, ‘व्यावहारिक अनुभव के मुताबिक इसमें ज्यादातर रिफंड छोटी राशियों के हैं, जबकि बड़े रिफंड जारी करने में अभी हिचकिचाहट है।’
