अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान पहले के 8.2 फीसदी से 80 आधार अंक घटाकर 7.4 फसदी कर दिया है। आईएमएफ ने कहा कि बाह्य परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने और केंद्रीय बैंक द्वारा मौद्रिक नीति में तेजी से सख्ती लाए जाने के कारण वृद्धि दर अनुमान घटाया गया है। विश्व बैंक भी भारत के लिए वृद्धि दर अनुमान 8 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर चुका है। अन्य एजेंसियों ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान कम किया है।
अप्रैल के अपने विश्व आर्थिक परिदृश्य में बदलाव करते हुए आईएमएफ ने कहा कि 2022 में वैश्विक मंदी की आशंका नहीं है और वैश्विक वृद्धि दर 3.2 फीसदी रहेगी। लेकिन कुछ जोखिम बने हुए हैं, जो वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
आईएमएफ ने कहा, ‘2023 में मंदी का बड़ा खतरा रहेगा क्योंकि उस समय विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि थम सकती है और परिवारों के पास महामारी के दौरान जमा हुई बचत घटने लगेगी। ऐसे में हल्का झटका भी अर्थव्यवस्था में गिरावट का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए 2023 की चौथी तिमाही में अमेरिका की वास्तविक जीडीपी वृद्धि महज 0.6 फीसदी रहने का अनुमान है, जिससे मंदी से बचना और भी मुश्किल हो जाएगा।’
आईएमएफ ने 2022 के लिए चीन की वृद्धि दर 1.1 फीसदी घटाकर 3.3 फीसदी कर दी है।